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________________ पाटण- चैत्य- परिपाटी अगर कपूर अनइ कस्तूरी, पूजइ चंदनि केसर चूरी, पूरी मन आणंद, अतिहि मनोहर जसु प्रासाद, गावई गायण जिण जसवाद, सुणियइ नव नव नाद. इणि परि उत्सव उत्तिम करता, सुपरि सुपुण्य भंडार सुभरता, सरता भेट्यउ नेमि, महूकर मनह मनोरथ पूरइ, पास पंचासरह भाव विचूरह, सार संसारइ लेमि. चम्मह भुवनि संति जिण गरुड, जाइ सेवंती दमणउ मरुउ, पूजउ मन उल्हासे, वासपूज्य वंदउ बहु भावई, जसु डरता भय मूलि न आवई, Res for अषय निवासे. सिरि देसलहर aut प्रसाद, भेटिस पास मनह अवसादई, पूरेइ प्रत्यासार, पलीवालउ श्रीमदिनिणेसर, आंबिलीउ स्वामी नेमीसर, नागमहि नाम सुविहार.. शांतिनाथ बोकडीयां भुवई, थाइसु निरमल अरिहंत धुणणई, गुण गाइस सुविचार, महावीर भवभावठि भंजइ, भावहडउ त्रिभुवन मन रंजइ, पीपलइ प्रत्यासार. कोरटवालइ शांतिजिणंदो, चिंतामणि आवइ आणंदो, चितामणि पास जिणंदो, वासपूज्य पूजउ मन भावई जिन सुषसंपद निज घरि आवई, परा कोटडी सुहावइ. अष्टापदि चंद्रप्रभ देव, नरे नरपति बहु सारई सेव, ऊपनउ ऊलट हेव, अष्ट करम चूरइ अट्टम जिण, दीठउ नयणे धन्न ति अम्ह दिन, जगबंधव जगदेव. वाजईं मद्दल अतिहिं रसाल, तिवली ताल अनइ कंसाल, गावई अपछर बाल, १० ११ १२ १३ १४ ४१
SR No.520754
Book TitleSambodhi 1975 Vol 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages427
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size30 MB
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