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________________ पाटण-चैत्य-परिपाटी निय गुरु पय पणमेवि, सरसति सामिणि मनि परीय, होयडा हरप धरेवि, गोयम गणहर अणुसरिय, पभणिसु चेतप्रवाडि अणहिलपुर पट्टण तणीय, मुझ मनि परीय रहाडि, दिउ मति निरमल अतिघणीय. १ देश शरोमणि देश, गुज्जरधर जगि जाणीयए, वावि सरोवर कूव वणसइ विविह वखाणीयए, नयनानंद सुचंग नरसमुद्र पट्टणनगर, गढ मढ पोलि उतंग, जसु सम महियलि नवि अवर. २ धर्मवंत बहु लोइ निवसइ जन्थ दयासहित, उवयारी सहु कोई, विनय विवेक गुणे भरित, दान पुण्यनी वात करइ जिहां अति....रडीय, पुण्य पुरष विख्यात वसइ ति ऊची सेरडीय. ३ मनि घरि अविचल भाव, तिहां प्रणमउं जिण सोलमउ ए, त्रिभुवन केरु राउ, भवीयां भगतिइ नितु नमउ ए, अष्ट करम दल भंजि शवरमणी सयवर वरिउ ए, मोह मयण मद गंनि उपशमरस जिणि आदर्यउ ए. ! दीठइ परमाणंद, अंगिहिं अतिघण ऊपजए, वंदिसु पूनिम चंग, भवभयथी नवि धूनीयए, संतिकरण जगदेव, सेवा सार ई इन्द्र सवे, मुनिवर तू महादेव, दइ दरिसण मुझ भवह भवे. ५ वस्त संति जिणवर संति जिणवर भावि वंदेवि, शकस्तव थुति तवन भणि, दूरि करवि ासायण निरत्तिहिं, भवसय संचिय पाप सवि, टालइ सूधइ ध्यानि, ऊंची सेरी वलि सुपरि भेट्या श्रीवर्धमान, ६ हिव भास हिव साऊकइ पणमिसु पासो, समरथ स्वामी लीलविलासो, दोठइ मनि उल्हासो, त्रेवीसम जिण पावविहंडण, दुष्ट महारिपु दूरि विहंडन, मंडन सुक्खनिवासो. ४
SR No.520754
Book TitleSambodhi 1975 Vol 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages427
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size30 MB
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