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________________ ३८ अस्थि बहु-सास निचिओ ववगय पर चक्क चोर-दुभिक्खो । अंगो नाम जणवओ वयंसओ मज्झदेसस्स ॥ २९३ जस्स य पवरा नयरी (?) रम्म-वणसंड-मंडिउज्जाणा । अणलिय- एगपुरी सा पुरवर-गुण-संपया चंपा ॥२९४ तत्थ बहु-गाम-जणवय- नगरो भय-तड- समाउला रम्मा ! अंगेसु पिच्छल-पुलिगा विहंग-संघाउला गंगा ||२९५ कार्यंव- कुंडला हंस- मेहला चक्कवाय: थण-जुयला । वच्च सायर-घरिणी फेणा- पंगुत्ति-पावरिया || २९६ हस्थि-म-त-हर-तडपायव - वरि (?) -कूला । वणमहिस-वग्घ-दीविय तरच्छ-कुल- संकुलुद्दे सा ॥२९७ चक्काई जमल- जूहाई जत्थ आपक्क कलम - कविलाई | सोहति : जमल- जुयलिय - पिएकमेक्कारताई ॥ २९८ जत्थ धयरट्ठ-सारस-सराडि - कार्यब-हंस कुरर कुला । अण्णेय सण-संघा रमंति सच्छंद-वीसत्था ||२९९ तत्थ सहि चकवाई अणंतर - भवे अहं इओ आसि । कप्पूर-भंग कंपेल्ल - सरस (?) - निह- पिंजर- सरीरा ॥३०० तत्थ य माणुस जाईं सरामि तत्तो अनंतर पत्ता । जाइ-गय-माण- सुह-संयाहिं रत्ता - भावे ||३०१ वरिय एस विसेसो (१) संसारे होइ सव्व - जोणीसु । जाई सरंति जीवा संपय-सह-मोहिया संता ।। ३०२ सच्छंद-ह-पयारे तत्थ य सच्छंद-साहियव्वम्मि । गाढा आसि रया है वयंसि चक्काय-भावम्मि ||३०३. या व जीव-लए चितिज्जंतो न तारिस अस्थि । रागो विलीय-रहिओ जारिसओ चकवायाणं ||३०४ * तरंगलोला
SR No.520754
Book TitleSambodhi 1975 Vol 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages427
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size30 MB
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