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अज्ञात-कतंक
गह-गणिउ भणहिं जो जोइसीय रवि-राह-पीड सुणि विप्प-ईय । पूयई बुहु मंगल राहु केउ ... नव-गह-पूया कीरति ते उ । मंतिग जोइस पिंगल भणंति जल-रक्खसु रय-पीडा करंति । चउअट्टइ य मंडल पूयंति बंलि दीव कुसुम नवि पीड जंति । अवरे वि मास-जव-सरिसवाई ताउंति लवण जलणस्स मांहिं । गुग्गल दहति मुद्दा धरेंउ . . नवि सकइ पीड को अवहरेउ । जुज्जति विज्ज. सीयल पलेव चंदण-पउमिणि-जल-जोय सेयं । काढेइ रस दिज्जहिं चंदणाई सक्कर परितिज्जइ चाउजाई । पाइजहि सीयल. एल-नीर घल्लिज्जइ अच्छण अल्ल चीर । कय होम-संति दिय चाउवेय दिज्जति दाण बहु विविह भेय । धय-लिल्ल कुंभ गाविहिं सवच्छ बहु उडद लोण तिल रोह रच्छ । जुत्ता हल वाहण भूमि दाण दिज्जहिं तेडवि दियवर-पहाण । .
घत्ता एवं विह विज्जह राय सविज्जह गय निष्फल उववाय सवि । वेयण नवि फिइ दाहु न त्रुटइ हउँ चिंतेमि अणाहु भुवि ॥ ५ ॥
[६] . इत्यंतरि महु माय समागय पुत्त-सोगि रोएवा लग्गिय । भणइ वच्छ तुह कइ कइ दुक्खइ सोगु करइ पुणु दुक्खु न रक्वइ । बंधव जिद्र फिरहिं चउ-पक्विहिं हुय सन्नद्ध-बद्ध भड-लक्खिहि । जे समत्थ अरि-दल संहारहिं . मह अणाह ते पीड न वारहिं । जे कणिद्र मह वल्लह भाई य ते महु दुक्ख सुणवि सहु आविय । लडहि भणहि किं भाईय किज्ज तो नवि वेयण लइ न हु विविज्ज(१) । जिट्ट बहिण मंगल बोलंती य सुणवि पीड मह पासि पहुत्तिय । मवरि कणि? सग्गी य सावक्किय दाहु न फिट्टइ कन्हइ थक्किय । अन्न वि सुसर-वग्ग सालय-जण : माहव-माउल मिलिय सदुहमण । मित्त चयहिं जे जीउ मह कारणि ते निरस्थ दुह-सायर-तारणि । १. हि २. कुसम ३. अवदारेउ १. हिंजहि चं० ५. पायजहि ६. हउ ७. पक्खय