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कनुभाई शेठ कथाना प्रसाण मार्गना अभ्यास अर्धे उत्तम रीत ए छे के वे समीपस्थित देशना रूपान्तरोनो अभ्यास करवो. पण समीप-पूर्वना प्रदेशना कथा-संग्रहनी अपता आवी अन्वेषणाने मान मर्यादित बनावी दे छे.
ऐतिहासिक-भौगोलिक पद्धति वस्तुतः मौलिक परंपराना प्रसारण अगेना अध्ययननी पदति छे वळी जा कथा प्रमाणमां बहुसख्य रूपान्तरोमा उपस्थित न होय-वधु रूपान्तरो होय तेम वधु सारु-अने कथानु स्वरूप, जेनो स्वतंत्र रीते अभ्यास थई शके एवा सकुल स्वरूपर्नु न होय तो आ पद्धतिनो सफळतापूर्वक प्रयोग थई शकतो नथी. आथी ज आर्नेने ए बाबतनो ख्याल माव्यो नथी के अभ्यास मूळकथाना सशोधन आगळ अटकी जतो न्थी पण जे कथाघटक बडे ते कथानु निर्माण थयु होय छे एनी अन्वेषणा करवा पर्यन्त एने मागळ लई जई शकाय छे. आ कथाघटको स्वरूपे सामान्यतः सादा होय छ, भने विश्लेषण अर्थे एमनु विभाजन थई शक नथी. एन्टी आर्नेनु कथाघटको अंगेनु अन्वेषण असतोपकारक छे ते एम जणावेछे के मूलभूतरीते प्रत्येक कथाघटक कोई अमुक कथानो अश होय छे. भने ज्यां ते वारंवार अन्य कथा के कथाप्रकृतिमा देखातो होय छे, त्यां पण ते मूलकथामा होय छे त्यांथो अपनाववामा माग्यो होय छे'. भार्नेर्नु
आ कथन ए बाबतनो समग्रपणे उपेक्षा करे छे के घणां कथात्मक कथाघटको एकाद मुद्दायुक्त सादो प्रसग] एक स्वतंत्र कथानक तरीके अस्तित्व धरावे छे. उपरांत एमां केटलाक एवां पण कथाधटको होय छे जे भूमिका [Ground ] नी अपेक्षा पूर्ण करे छे. अथवा कथानु पहेल प्रथम निर्माण थयु होय एवी कथा-प्रकृति [Tale-type] मां पात्रो तरीके प्रयुक्त थाय छे क्रूर अपरमा, निषेध, जादु, वातचीत करतां पशुभो, दानवो, डाकणो, परीमो, वामन इत्यादि सामान्य साधनसामग्रीनो पात्र अने साजसजावटना व्यापारमा कथा-कथक पोतानी ईच्छा मुजब उपयोग करे छे. लोककथामा प्राप्त थता मा पुरातन तत्त्वर्नु नृतत्त्वशास्त्रोओ द्वारा अति गौरव करवामां आव्यु छे. पण मा बाबत एना वास्तविक महत्त्वनो माहे आववो न जोईए.
__ मा सामान्य जीवननां कथाघटको भने आदिवासीमोना विचारो विविध स्थळे स्वतंत्र पणे उद्भव्या होय एवी सभावना छे, ते लोककथाने महत्त्वनाम शो
I He says originally tale and that although it frequently appeared in other types , it had been borrowed from the tale where it originally belonged.
The Folktale, Stith Thompson. p. 439.