SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रमेश बेटाई सस्थामो प्रत्ये कर्तव्यनिष्ठाथी शा माटे आचरण करे । करे तो तेने शो लाभ ! न करे तो तेने नुकसान शु। महा एक स्पष्टता करी लेवी आवश्यक छे के पाश्चात्य जीवननी नीतिरीति, सस्कृति भने ज्ञाननो अतिशयित प्रभाव आजे भारतीयोना जीवन पर पडयो छे त्यारे पण एक हकीकत रहे ज छे के पाश्चात्य सामाजिक विचारधारा करतां भारतीयना जीवन पर विशेष प्रभाव आजना महदंशे परिवर्तित संजोगोमा पण भारतीय विचारधारानो ज छे । ए फरियाद साची ज छे के "भारतीय समाजशास्त्रीओए, मानव तथा जीवन समग्रना संबंधोनो अनोखो विचार करती अने प्राचीन समाजशास्त्राय विचारधारा पर परतुं ध्यान आप्युं नथी।" अने ए वात पण तथ्ययुक्त छे के "तेना विषयो तथा अभिगममा भारतीय समाजशास्त्र तद्दन तटस्थ न बनी शके । तेमां थोढुंक गूढ दर्शन आवे जे भूतकाळ तथा वर्तमानने सातत्य पूर पाडे, जे भारतीय समाजनो परिवर्तनशीलता बनी रहे ।" भारतीयर्नु समग्र जीवन अमुक विशिष्ट पायानी मान्यताओथी मन्वित छे ए वात मनुनी विचारधारा स्पष्टपणे प्रगट करे छ । भारतीयना समग्र जीवन पर अने तेनी साथे तेगा सामाजिक जीवन अने चिन्तन पर ऊंडो प्रभाव पाडनारी आ पायानी मान्यताओ छे: (१) आ जीवनना अने जीवन परम्परानां कर्मोंने परिणामे माणसने प्राप्त थतां स्वर्ग अने नरक । (२) जीवन ए एक महायज्ञ छे अने तेथी तेमा खास गृहस्थे पांच महायज्ञो सतत करवाना छे । महायज्ञो ए मानवने तेनी सामाजिक ऋणमुक्ति माटे जरूरी छ । (३) आ यज्ञो पैकी पण सौथी वधारे महत्त्व पितृयज्ञनु छे, कारण, मानवना समग्र व्यक्तित्व पर वधुमां वधु प्रभाव पितृमो धरावे छ । तेथी तेनी कर्तव्यपरायणता वधुमां वधु पितृा प्रत्ये छ। (४) मा जीवन अने जीवनपरम्परानी समग्र प्रवृत्ति भने कर्तव्यशीलतामां मानव सतत मोक्ष किंवा निर्वाण प्रति गति करे छे । (५) मानवना सतत उत्थान तथा अधःपतनमुक्ति माटे शुद्धिओ मने प्रायश्चित्तो जरूरी छ। (६) मानवतुं वर्तमान जीवन ए एना अनेक जन्मोनी परम्परा किंवा शृंखलामांनी एक कडी मात्र छ । आ पायानी मान्यताओनां निश्चित सामाजिक परिणामो छे, जे मनुनी विचारणामां स्पष्टपणे प्रतीत थाय छ ।
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy