________________ गीता और कालिदाम 122 कुमार. 4-41 123 द्यामर्जिता कर्मभिगरगह / घ 18-:, 14-15,.. 124 म्बल्पीभूतं मुचरितफलं मत्र : 125 गीता ..... 126 कुमार -.. 127 कुमार 2-1 128 धु 8-.3 129 गाना ... 110 1 1.-.. 131 ग्ध, 8-24 132 गीता 11-16, 15-.," .- 133 1-20.... 134 रघु. 18-33 135 रघ 17-34 116 1 1 -0 137 9 :-- 138 अभ्यामनिगृहीतेन मनसा हन्याश्रयम् / ज्योतिर्मय विचन्वन्ति यागिनम्या विमुक्तय / / 5.3 अभ्यासयोगयुक्तन चेतसा नान्यगामिना / परम पुरुष दिव्य यानि, पाथानचिन्नयन | न 4-0 139 विधिहीनमसप्टान्न मन्त्रहीनमदक्षिणम / गीता 17-13. 140 श्रद्धा वित्त विधि चेति बिलय नकमागतम् / / शाकु. 5- tg1-18 141 गीता 2-69 142 ग्घु 19-34 143 -6, कुमार .-15 144 गीता - 145 गाना - 146 योगिनो ये विचिन्वन्ति क्षत्राभ्यन्नन्वनिनम् / अनापत्तिमय यस्य पदमाहुर्मनीषिण // कुमार - 10-.. 147 कुमार 8-83 148 कुमार. :-15 149 गीता -11 150 गाना -" 151 गीता 18-5 152 गीता -10 153 गाना - 154 द्रष्टव्य गौतम पंटल, पार्वती का तप-रहस्य, कुमारसंभव की चतुर्थ आवनि / (प्रकाशक . सी जमनादाम कपनी), 1973, 68-13