________________
कनुभाई शेठ एल्बर्ट बेस्सेल्स्की शक्तिशाळी सशोधक भने विवादकार हतो. एने नॉवेलो, फेन्युला इत्यादि अंगे सारं एवं ज्ञान हतुं पण मौखिक परम्परा अंगे एनुं ज्ञान भोळु हतुं अथवा तो ते गर्नु साचु मूल्य करो शक्यो न हतो. एने एम लागे छे के जो एणे एम दर्शाव्यु होत के उदाहरण तरीके प्रीम बंधुमोए पोतानी कथानी पुनःसर्जना करी हती, अने वास्तवमा तो एणे ते साहित्यमाथी अपनावी हती, तो तेणे कथाभो, वास्तवमा लोकस्मृतिमां जळवाई रहे छे भने मुखपरम्परा द्वारा ते प्रसरे छे ए विचारर्नु अवमूल्यन कयु होत. एन्डरसने वेस्सेहस्कीना लोककथा अगेना आ एकतरफी निरूपणर्नु प्रतीतिकर निराकरण कयु छे. मौखिक कथाओना अनिवार्य विभाजनने स्थाने, एना सुदीर्घ अने समृद्ध अनुभवे ए कथाओ जे सतत सुधारणा अनुभवे छे ए वस्तुए कथाओने एमनी मूळ एकता भने रस गुमावती वारी छे, एम दर्शाव्यु छे.
पेस्सेल्स्की विरोधी वस्तु पर भार मूके छे. तेम छता ऐतिहासिक-भौगोलिक पद्धतिने अनुसरनाराओए पोते जे कथाओनो अभ्यास कयों छे एना लिखित रूपान्तरो पर ज सविशेष ध्यान आप्यु छे. आना उदाहरण अर्थे उपर्युक एन्डरसननी-'सम्राट भने पादरी वाळी कथाना अभ्यासने रजू करी शकाय, ते कथानां कुछ ५७१ रूपान्तरोमांथी एणे लाभग १६१ जेटला साहित्यिक रूपान्तरानो उपयोग क्यों छे भने वास्तवमा मामांना केटलाक साहित्यिक रूपान्तरो ज एने मूळ कथानी स्थापनामां सौथी वधु उपयोगी जणायां छे. एन्डरसने ए वस्तुनी पण काळमीपूर्वक अभ्यास क्यों छे के कयां मौखिक रूपान्तरो साहित्यिक रूपान्तरोनो प्रभाव दर्शाये छे; जो के आवां रूपान्तरो कोई पण संजोगोमा वेस्सेल्स्की माने छे, पटली वधु सख्यामां नथी.
वेस्सेल्स्कीए उपस्थित करेल प्रश्न लोककथाना अन्वेषक माटे अति महत्वनो छे. या वे प्रकारनी परम्परा-मौखिक अने लिखित-बच्चेनो अरसपरसनो संबंध एक जटिल प्रश्न छे. या वस्तु आज पर्यन्त करवामां भावेला अध्ययन करता वधु अध्ययननी अपेक्षा राखे छे.
भरसपरसना आंतरप्रभाव अंगे वधु वास्तविक विश्लेषण को जरूरी छे, जे कथामो पेन्टामेराने [pentamerone] अथवा perrault जेवा कथासंग्रहमा जगाय छे तेनां मौखिक रूपान्तरोमांथी केटला मा कथासंग्रहना प्रभावनो निर्धान्त