________________
नायक ( त्रागाळा) - भोजकनी पारसी
सं० पं० अमृतलाल मोहनलाल भोजक अने लक्ष्मणदास हीरालाल भोजक अहीं निर्दिष्ट 'पारसी' शब्द, सांकेतिक बोलीना अर्थमां छे. 'पारसी' शब्दना आ अर्थना संबंधां, अमारा सम्मान्य स्नेही सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ. श्री भोगीलालभाई . सांडेसरा अनेक प्राचीन अवतरणो आपीने चर्चा करी छे. जुओ 'बुद्धिप्रकाश' मार्च - १९४९ ना अंकमा 'शब्दचर्चा - पारसी' शीर्षक लेख.
समाजना विविध वर्गों पोतानी जरूरी बाबतोमां परस्परनी अंगत समज माटे पोतपोतानी पारसीनो प्रयोग करे छे, जेथी नजीकमां उपस्थित अन्य जनो ते समजी न शके आवी पारसीओमां सैन्योनी पारसी (Code word ), तेना अधिकृत ज्ञाता सिवाय अन्यने सर्वथा अगम्य होय छे.
कापडिया, चोकसी वगेरे व्यापारी वर्ग तथा सोनी, सलाद आदि कलोपजीवी वर्ग पोतपोतानी पारसीनो प्रयोग करे छे, पण तेमां तेनो उपयोग मर्यादित होवाथी तेमनी पारसीनी शब्दसंख्या प्रमाणमां ओछी छे, ज्यारे जेनी प्रवृत्ति प्रत्येक वर्गना नाना-मोटा जनसमूह साधे सकळायेली छे तेवी नायक जेवी ज्ञातिओनी पारसीमां शब्द-मंडोळ वधारे होय ते स्वाभाविक छे,
प्रस्तुत नायकनो पारसीना जूज शब्दो घणां वर्षों - पहेलां एक अभ्यासी भाईए अमारी पाथी नोंधीने प्रकाशित कर्यानुं स्मरण छे तेमज अन्यान्य बीजी पारसी ओना संबंधमा सामयिकोमा परिचय प्रकाशित थयानुं स्मरण छे. समयना भावने ली अहीं स्थान निर्देश थई शक्यो नथी.
आ पारसीनी शब्दसूचिमां आवेलो कोइ कोइ शब्द वर्णविपर्यासथी बनेलो छे. तेथी संभवित छे के आवा शब्दो कदाच मौलिक न पण होय.
नायकनी पारसीमा लांबो के ढूंको वार्तालाप करवाना प्रसंगे ज्यां ज्यां पारसीना मौलिक सांकेतिक शब्दना अभावने के विस्मरणना लीधे ऊणप उपस्थित थाय छे त्यां त्यां सर्वजनसाधारण भाषाना प्रचलित शब्दने संस्कार आपीने सांकेतिकशब्द बनावी लेवामां आवे छे. आ रीत आ प्रमाणे छे- प्रथम कोई पण शब्दना
१. सोनीनी पारसीना शब्दोने डॉ. श्री भोगीलालभाई ज सांडेसराए, प्राचीन हस्तलिखित पानाना आधारे प्रकाशित कर्या छे, जुओ तेमनो 'सोनीनी पारसी' शीर्षक लेख - बुद्धिप्रकाश, ओगष्ट १९५९.
२. आ पारसीने 'सोमपुरा सलाटनी पारसी' शीर्षक लेखमां श्रीकांतिलाल सोमपुराए प्रकाशित करी छे, जुभो, 'बुद्धिप्रकाश' डिसेम्बर १९५४.