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के. ऋषभचन्द्र
(१६) राजकुमारः रज-पडयन्त्र, छोटे भाई को राजगद्दी और बड़े भाई को दवाओं के प्रयोग से पागल बनाकर जंगल में भगा देना, परिस्थितिवश भिल्लो का आधिपत्य और डकैनी का धन्धा करना ।।
(१७) राजपुत्रः स्वर्ग और नरक की बात सुनकर संसार मात्र से वैराग्य । (१९) राजकुमार: जाति-स्मरण और संसार-त्याग ।
(२०) राजकुमारः शिकार का व्यसन, एक बार एक हरिण पर वात्सल्यभाव और वैराग्य ।
(२२) कामुक राजकुमारः अनेक कन्याओ के साथ शादी, विद्याधरो द्वारा रूप बदलकर सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर उसे प्रतिबुद्ध करना, जादू के खेल के समान आँग्य मींचते ही अन्य देशों के दर्शन होना ।
(२३) साहसी गजकुमारः विद्याधर डाकू द्वारा कन्याओं का अपहरण, जादू की गोली का प्रयोग जिससे शारीरिक शक्ति में वृद्धि, अपने साहस के बल पर गजकुमारने सभी कन्याओ को मुक्त करवाया और विद्याधर का नाश किया ।
(२५) राजकुमारः स्वप्न और उसका फल और वैराग्य । इ. वैश्यकुल:
(३) दरिद्र और कपटी वैश्यः व्यापार के लिए अन्य देश जाना, लोभ, धोखेबाज़ी, ठगाई, कपटपूर्ण आचरण, जालसाज़ी, मित्र को कृप में फेंकना, लुटेरों से सामना करना, उनकी ईमानदारी और सज्जनता ।
(६) व्यापारी-पुत्रः जहाज के टूटने से सभी व्यापारियों का एक द्वीप पर मिलना और घर लौटने की प्रतीक्षा और उपाय ढूँढना ।
(९) श्रेष्ठीपुत्रः जाति-स्मरण और धर्मोपदेश ।
(१०) श्रेष्ठीपुत्रीः विद्याधरों द्वारा कन्याओं का अपहरण, आपस में लड़ाई और अपहृत कन्या को जंगल में निस्सहाय छोड़ देना, भाग्य से घूमते हुए व्यापारी पुत्र से मिलन और शादी।
(१८) श्रेष्ठीपुत्र : व्यापार में असफल और वैराग्य । । (२१) वणिकपुत्रीः अति गाढ प्रेम होने के कारण ' पति की मृत्यु पर उसके शव को लेकर फिरना, युक्ति से इसका इलाज़ ।