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________________ प्राचीन उपनिषदों की दार्शनिक चर्चा कृष्णकुमार दीक्षित उपनिषदों के बीच प्राचीन अर्वाचीन का भेद किया जाना एक अत्यंत महत्त्व की आवश्यकता है क्योंकि इसके आधार पर जाना जा सकेगा कि भारतीय दर्शन के इतिहास के उस प्राचीनतम युग में जिसमें रचित ग्रन्थबद्ध सामग्री हमें आज उपलब्ध है दार्शनिक ऊहापोह ब्राह्मण परम्परा में किन धाराओं में होता हुआ प्रवाहित हुआ था । निःसन्देह यह कहना भूल होगी कि उम युग में ब्राह्मण परम्परा में हुआ समूचा दार्शनिक उहापोह हमारे इन उपिनषदों में आ गया है और यह कहना भी कदाचित् भूल होगी कि उस युग में समूचा दार्शनिक ऊहापोह ब्राह्मण-परम्परा में ही हुआ था । लेकिन इन उपनिषदों में अ-समाविष्ट तत्कालीन ब्राह्मण-दर्शन तथा तत्कालीन श्राह्मण-दर्शन का स्वरूप क्या था यह जानने का सीधा साधन हमारे पास नहीं । क्योंकि प्रस्तुत युग से हमें प्राप्त एकमात्र दार्शनिक कृतियां हमारे ये उपनिषद हो हैं । सौभाग्य से शेष वैदिक साहित्य की भांति हमारे इन अनिषदों के सम्बन्ध में भी पाठ-दोष की शिकायत अत्यन्त कम उठनी है क्योंकि ब्राह्मण-परम्परा की यह विशेषता रही है कि उसने वैदिक साहित्य के पाठ को उसके मूलरूप में स्मृतिबद्ध करने की दिशा में भगीरथ प्रयत्न किया है। लेकिन स्पष्ट है कि वैदिक साहित्य के जिस पाठ को इस परम्पराने स्मृतिबद्व करके सुरक्षित रखा है वह किसी समय विशेष में ही प्रामाणिक-अतः स्मृतिबद्ध करके सुरक्षित रखे जाने योग्य घोषित किया गया होगा। वैदिक साहित्य के प्रस्तुत पाठ को प्रामाणिक घोषित करने को परिस्थितियां ठीक क्या रही होंगी इसकी कल्पना करना हमारे लिए कदाचित् आज संभव नहीं । लेकिन इस साहित्य का अन्तःसाक्ष्य स्पष्ट सिद्ध कर देता है कि वह विभिन्न व्यक्तियों द्वारा विभिन्न समयों पर रचित कृतियों का एक संकलन है और ऐसी दशा में प्रश्न उठना अनिवार्य है कि इस संकलन को जो रूप दिया गया वह क्यों; उपनिषदों को दृष्टान्त बनाकर प्रश्न किया जाना है कि वे इतने और ये-ये क्यों तथा उस-उस उपनिषद् की विषय-वस्तु वह-वह क्यों । लगता ऐसा है कि वैदिक साहित्य के उस-उस भागमें संकलित सामग्रो वैदिक समाज के-कदाचित् कह सकते हैं ब्राह्मण समाज के-उस-उस भाग को परंपरा से प्राप्त थी और जब
SR No.520752
Book TitleSambodhi 1973 Vol 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1973
Total Pages417
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
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