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________________ मधुसूदन ढांकी सविशेष नक्कर, चिंतनामक तेम ज विद्वमान्य भूमिका पर प्रा. सत्यनारायण लेम ज दा.शृगीऐ मुकी छे. श्रुति अने स्वरना मूलगत गृहीतोने स्फुट करवामां आ वे भारतीय विद्वानो, अने साथे साथे दा. चैतन्यदेवनो फाळो स्मरणीय बनी रहेश. प्रस्तुत विद्वानोए तद्विषय पर प्रगट करेल विचारो अहीं करवा धारेन्ट चर्चाने उपकारक होई, संबंध होय तेटलो तेना सारनो उपयोग करी, देमा मने लब्ध थयां छे तेबां केटलांक विशेष स्पष्टताद्योतक अने नवीन शास्त्रवचनो टांकी, 'तत्त्वायना सन्दर्भमां थोडु उमेरी आगळ वधीशुं. नादना वे प्रकारोमांथी 'अनाहतनाद' शास्त्रकारो कहे छे' तेम 'आकाशसंभूत' (Cosmic sound, prirneval sound), 'स्वभाव-अकल' अने योगीओ जेनुं व्यानावस्थामां मनसा श्रवण करे छे ते होई, ते संगीतपयोगी नी. ते 'चिदरूप' अने इन्द्रियगोचर न होई, तेनो जागृत अवस्थामां अनुभव थवो दर्लभ है. पण 'आहतनाद' गांधर्व-कंठ्य अने आतोद्य-मां प्रयुक्त थतो होई, ते व्यवहारमा अने एथी प्रत्यक्ष अनुभूतिमां होई, अहीं ते प्रकार ज अभिप्रेत मानवानो छे. आ आइतनाद 'सूक्ष्म', 'अतिसूक्ष्म' आदि पांच प्रकारो, अने शरीरनां नाभियो लई शार्प पर्यन्तना जुदा जुदा स्थानोमा थती प्रस्तुत नादोनी उत्पत्ति इत्यादि वाती अहींनी चर्चामां अनावश्यक होई, संगीतमा नाद केवी रीते क्रियमाण बने छे अने त्यां व्यवहारमा ते कई रोते स्फुरायमान थाय छे, अंकुरित बने छे, तेनो केवो रूपाविर्भाव थाय छे ते तथ्य पर ज सौ पहेला ध्यान केन्द्रित करी पछो आगळ वधीशु. नाद विना स्वर, गायन, वादन, ताल अने नर्तन न तो सिद्ध थाय के न संभवे । पायानी वातनो नोध लई शास्त्रकारोए संगीतमा 'नाद'नी प्रधानता स्थापी ले, अने साये ज तात्त्विक दृष्टिए साराये स्थावर-जंगम विश्वने 'नादास्मक', 'ध्वन्याक्रान्त' भने 'नादाधोन' कहयु छे.' पण 'नाद' एक गतिमां, ने एक ज स्तर पर अविरत अने अखंड-अभिन्न बहेतो रहे तो तेमाथी संगीत नीपजतुं नथी. संगीत-जनन माटे आथी नाद पछी तरतर्नु स्थान छे 'श्रुति'नु. संगीतोत्पादक ध्वनि-नाद अने 'श्रुति' ने गाढ संबंध छे. आ 'श्रुति' ते भारतीय गांधर्व-दर्शननो मौलिक अने आगवो विभाव छ, श्रुतिर्नु विभावन भरतप्रणीत “नाट्यशास्त्र" (ईसवीसननो त्री जो सैको !) नी पण पूर्व पाणिनि (इ. स. पू. चोथो शताब्द)) अने "प्रातिशाख्यो” (ई. स. पू.
SR No.520752
Book TitleSambodhi 1973 Vol 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1973
Total Pages417
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
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