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अपभ्रंश संधि-काव्यो पाटणना हेमचंद्राचार्य ज्ञानमंदिरमा एक अपूर्ण जम्बूकुमार संधि छे.' एना विशे पण वधु विगत मळती नथी.
आ संधिकाव्यो जो के लघु काल्यो छे परंतु उत्तरकालीन अपभ्रंशना अभ्यास माटे महत्वपूर्ण होवाथी एमर्नु मूल्य ओछु आंकी शकाय नहीं.
उपदेशप्रधान होवा छतां आकर्षक घटनाविधान, सरळ भाषा अने प्रवाही छंदोरचनाने कारणे संधिकाव्यो भाववाही ऊर्मिकाव्यो बनी शकयां छे. परवर्ती गुजराती-राजस्थानी कविओए आ संधि-काव्यनी परंपराने छेक सत्तरमो सदी सुधी अविच्छिन्न जाळवी राखी छे, एनी साख विविध भंडारोमां मळतां ावां अनेक काव्यो पूरे छे.
१. हेमचन्द्राचार्य ज्ञानमंदिर, पाटण, अप्रकाशित सूची.