SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 383
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ किरातार्जुनीय में विमर्शसन्ध्यनिरूपण सुषमा कुलश्रेष्ठ आचार्यों ने नाटक में पांच सन्धियों तथा उनके महों की उपस्थिति को आवश्यक माना है । इन सन्धियों तथा उनके मङ्गों का मावशालीन प्रयो में मतिविस्तार से उल्लेख किया गया है । महाकाव्य का सक्षम प्रस्तुत करते समय भाचार्यों ने स्पष्ट निर्देश किया है कि महाकाव्य को मी नाटक के समान पञ्चसन्धियों से समन्वित होना चाहिए। इससे स्पष्ट है कि महाकामों में सन्धि योजना को नाटकों की सन्धि-योजना के बराबर ही महत्व दिया गया है। सस्कृत के भनेक महाकाव्य भी इसके प्रमाण है क्योंकि उनमें सन्धियों की लिपि योजना हुई है । सन्धियों के सम्यक् निर्वाह के लिए यह किनारा अथवा काव्य में आधिकारिक तथा प्रासाङ्गक वृत्त, पञ्च मासियों उस कार्यावस्थाओं की भी सम्यक् योजना की जाये । एक प्रयोजन में अन्वित कथाशो के भवान्तर सम्बन्ध को सन्धि मते हैं । सन्धियों के भवान्तर विभाग ही सन्ध्या कहलाते हैं। सामाकिस निश्चित है कि जब किसी नाटक अथवा काव्य में पञ्च-सन्धियोंगोषय की जायेगी तब वहाँ उन सन्धियों के अङ्गो की योजना न पाये, पर सम्मा नहीं है । नाटक में सन्ध्यङ्ग-योजना के विषय में निर्देश नाव्यांची प्राप्त होता है । यद्यपि किसी भी प्राचीन भाचार्य ने महाकाब में सम्मानमा के विषय में कुछ निर्देश नहीं किया है तथापि हम यह मान सम य १. काव्यालकार (भामहप्रणीत) मर्गबन्धी महाकाव्य महता महन्वा । भप्राम्पशव्यमध्येच साधर सदामयम् । मन्त्रदूतप्रयाणाविनायकाभ्युदय बा। पश्चभि सन्धिमियुकं माविम्यारोमाविमा 15-1. काव्यावर्श -- सगैरनतिषिस्तीणे धपात समिनिमः। सर्वत्र भिन्मवृत्तान्तरुपेत कोकरणम् 1110-11 काम्याहार (बटप्रणीत)-सम्धीनपि संझिस्वागदोबारा चन्यालोक-चन्धिसन्ध्यापटम रखामियपेक्षया । मतु केवलया शास्थितिसम्यवेकया ३३१ मा. ६० -यारवीरशान्तानामेोजा रख पाते। महानि सर्वेऽपि रसाः बाम १. मन्तरकायसम्बन्धः सन्धिरेनन्नये पति !
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy