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________________ अज्ञात कर्तुक सीयादेवि सु [29A] सीय चरिउ निपुणेहु जण मुणि-सुव्वयहु तित्थि में बिच । जिह वणि वल्लिय कमिनि राहू दुज्जस-भीएण ॥ १ कहि विणु सधारेवी । रज्जु चिहीसण स-बलु वि देवी ॥ लघवि उवहि पट्टु पुरि गुरुयणि पुणु पणिमाठ करेबी | समाणवि सुहि- भिच्चयणु नायर-लोड सुद्देण घरेदी ॥२ विहु तिहि पुरि रज्जु करतहु । सीयइँ सरिसहु सुहु माणतहु ॥ जाइ कालु सुर लोए जिह देवहु दोगुदुगहु अस्वेविं । दोसि डोहलउ साहिउ विह सो महास्वी ॥३ 'जाउँ जण जिण भवणु करावे । गब्भह पुणु मणि कंचण-पडिम भराव ॥ न्हवणुक[र] उ परमेसरहु दीणाणा तक्कुयहँ पूरि सगि भत्तिए समण- सघु हिउँ । पुणु विजच्छि दादा ॥४ 'मह सुर- सुदरि तुहुँ स-कियथा । कुल-मयक तुहुँ वहण समस्था ॥ मणोरद्द इंदियहँ हियइच्छिय हैं तुम (हु) संपाव ताव तुहारेण हउ जि महिम जिया-हिरा ॥५ इम्व जाँव सा अच्छा रलिय । कुडहुड सीय ठाइ सोहलियाँ | महत ताव विहि आएसिं पाव-हल किलिकिलिंतु वहु अमरिस-भरिय | लट्ठयरु रामह पत्तिय तं अवभरि ताँव तेत्थु जणवह ॥६ वोल्लिज्जइ । 'हले सहि सो[29B]लि का वि किज्ज || मूल हस्तप्रति के भ्रष्ट पाठ ६.५ विहि ७१ इकस
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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