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On Some Specimens of Carcari
सिदिलिऊण दइय पियगुदलसालर्य, कोइ सिहिणघणफलहरवच्छविसालय । णदण व विरहुग्गयतावपणासर्थ, सामिकज्जि बहु मण्णइ णवर पवासय ॥ ९०
अण्णाए कंठवलय, मोइज्जह कह वि ओसुहेल्लयपि । सुहण सामिकज्जए, दइयालय सिणेहपासय व ॥ ९१
बिल्लुलियासि दिलकेस चटुलीकयचचलवालयं, सठवेसु देवरतणुतरलयवालय । भइ कोइ मह सुन्दरि । मुय माणल्लय, वयणय च मा वुब्भउ बाहजलोल्लय ॥ ९२ उप्पती कवय, कीए वि रक्खासह ति दइयस्स ।
आलिंगिज्जइ बहुसो, गुणाण रज्जइ जणो ण रूवरस ॥९३ जंतदइयमवयच्छिय कीए विसालय, उण्णवेवि मुहमु भडजणियविभलयं । दुण्णिमित्तसकाए विसायव सुब्भर, वाहओ पहोलिज्जइ लोयणमज्झ ॥ ९४ सुपडित्थिर परिसप्पय, को वि समारुहइ ससए वि मिलियाण । ववसायं पि व तुरययं, सहाययं आवईए ससियाण ॥ ९५
को विगलियकरडयडपलोट्टियदाणय, गुरुविपक्खभेयक्ख मदीहविसाणय | णिययपुरिसयार पिव परभडभंजयं, आरुहेइ गुरुमयगलमइदप्पुञ्जय ॥९६ कवि गभत्ति दयओ, विरह भयाहित्थवेविरगयाइ । अविलम्बियाइ तुरियय, वयसियाए व्व णवर मुच्छ्याए ॥९७ 190, Ibid, p 11 25 28
अवि य
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सुरहिपरिमल्लद्दामपलोट्टियदाणओ चूयमजरीजालविर्णित विसाणओ ।
गयवतीण वित्था रियविरहदुहासओ वारणो व्व पवियम्भइ माहवमासओ ॥ १३७ कयगुरु विरहुव्वेयय, भमतभसला लिया समीवयम्मि ।
पहिएहिं सभमाउल, पलोइया कुवियकालसकलो व्व ॥ १३८
Ibid, p 190, last line - p 191, 11 1-3
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एत्थतर म्मिय पढिय बदिणा
उच्छलन्तकलचच्चरिरुजियरसणओ घवलमल्लिउम्मिल्लियदीहरदसणओ । चडुलपल्लवुव्वेल्लिरतर लियजीहओ महुणिहाइ | पवियम्भइ माहवसीहओ ॥ १३९ जह जह दाहिणपवणओ णराण परिमुसद् मासलगयाई । मयणग्गिणा समहियं तह तह संतावियाई हिययाइ ॥ १४०