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________________ अनुत्तर योगी : तीर्थंकर महावीर लार खण्डों में संपन्न वीरेन्द्रकुमार जैन का एक बहुपठित और बहुचर्चित महाकाव्यात्मक उपन्यास प्रथम खण्ड : वैशाली का विद्रोही राजपुत्र : कुमारकाल (तृतीय संस्करण) द्वितीय खण्ड : असिधारा का यात्री : साधना तपस्या-काल (द्वितीय संस्करण) तृतीय खण्ड : तीर्थंकर का धर्म-चक्र प्रवर्तन : तीर्यकर-काल (द्वितीय संस्करण) चतुर्थ खण्ड : अनन्त पुरुष की जय-यात्रा (शीघ्र प्रकाश्य) प्रत्येक खण्ड का मूल्य रु. ३०-०० ; चार खण्डों का अग्रिम मूल्य रु. १००-०० - (डाक-व्यय पृथक्) 'अनुत्तर योगी' के सजनकर्ता की कलात्मक शैली की यह विशेषता है कि जितनी बार हम इस कृति को पढ़ते हैं, उतनी बार हमें इसमें नयी-नयी बातें मिलती हैं। निःसन्देह लेखक नव-नवोन्मेषशालिनी प्रतिभा से संपन्न है और काल एवं परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में सत्य का साक्षात्कार करता है। मैं समझता हूँ कि आने वाले समय में यह रचना वैसी ही लोकप्रिय एवं श्रद्धास्पद बनेगी, जैसी तुलसी-कृत रामचरितमानस शीर्षक रचना बनी हुई है। सृजेता का परिश्रम एव अनुचिन्तन फलदायी सिद्ध हुआ है। -एलाचार्य विद्यानन्द मुनि ___ इस शती का 'अनुत्तर योगी' ग्रन्थ अनुपम है, इसमें सन्देह नहीं। जब हमारे पूर्वचार्यों ने भगवान महावीर की जीवनी को अपने-अपने काल के अनुरूप सजाया है, तो कोई कारण नहीं कि आधुनिक लेखक आधुनिक दृष्टि से उसे न लिखे। विरोध करने वालों की दृष्टि केवल पूर्वाचार्य-लिखित कोई एक जीवनी है। किन्तु वे नहीं जानते कि उत्तरोत्तर उसमें किस प्रकार नया-नया जोड़ा गया है। -पं. दलसुख मालवणिया 'अनुत्तर योगी तो सचमुच अनुत्तरयोगी है। उसमें कलाकार कवि लेखक ने भगवान् महावीर के प्रति अपने हृदय की समस्त श्रद्धा उसमें उड़ेल डाली है। अनुत्तरयोगी के महावीर किसी एक संप्रदाय विशेष के नहीं हैं। उन्हें उस दष्टिकोण से देखना भी नहीं चाहिये। लेखक ने उन्हें उपन्यास के पात्र के रूप में अंकित किया है। उनके जीवन को उन्होंने जिया है। उनके श्रम का मूल्यांकन करना शक्य नहीं है। _ -पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री प्राप्ति-स्थान: श्री वीर निर्वाण ग्रन्थ-प्रकाशन-समिति ४८, सीतलामाता बाजार, इन्दौर-४५२ ००२ (म. प्र.) तीर्थकर : अप्रैल ७९/५९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
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