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________________ भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन हमारे नये प्रकाशन (महान् उपलब्धियाँ) धर्मामृत अनगार और धर्मामृत सागार दिगम्बर जैन परम्परा में साधुवर्ग (अनगार) तथा गृहस्थ श्रावक (सागार) के आचार-धर्म का निरूपण करने वाली १३वीं शती की संस्कृत कृति, ज्ञानदीपिका स्वोपज्ञ संस्कृत टीका एवं हिन्दी व्याख्या सहित, पहली बार प्रकाशित । दो अलग-अलग जिल्दों में । मूलका : पं. आशाधर, संपादन-अनुवाद : पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री। डबल क्राउन, कपड़े की जिल्द, पृष्ठ ८०० (अनगार), पृ. ४०० (सागार) । मूल्य क्रमश: ३०-००, १६-०० रुपये। गोम्मटसार (जीव-काण्ड) भाग १ चार भागों में प्रकाशनार्थ नियोजित सम्पूर्ण ग्रन्थ (जीवकाण्ड एवं कर्मकाण्ड) का यह प्रथम भाग है। सिद्धान्तचक्रवर्ती आचार्य नेमिचन्द्र द्वारा प्रणीत मूलगाथाओं के साथ, केशव वर्णी द्वारा विरचित संस्कृत-कन्नड़ मिश्रित कर्नाटकवृत्ति, तदनुसारणी संस्कृत टीका जीवतत्त्वप्रदीपिका, हिन्दी अनुवाद एवं विशेषार्थ तथा शोधपूर्ण विस्तृत हिन्दीअंग्रेजी प्रस्तावना से अलंकृत। सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण संस्करण-पहली बार। संपादन : (स्व.) डा. आ. ने. उपाध्ये तथा पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री। डबल क्राउन, प्रथम भाग, पृष्ट ५६४, मूल्य ३०) । द्वितीय भाग शीघ्र ही प्रकाशित हो रहा है। आत्मा का स्वरूप, उसकी संघटना और उसके संचरण आदि पक्षों पर जैनधर्म की मान्यताओं का विशद विवेचन करने वाली अंग्रेजी में अत्यन्त प्रामाणिक पुस्तक । भारतीय और पाश्चात्य दर्शनों में वर्णित आत्मा के स्वरूप का तुलनात्मक अध्ययन । डा. सुमति चन्द्र जैन के दीर्घकालीन अध्ययन और चिन्तन का सुफल । डिमाई साइज़, पृ. २५४; मूल्य २०) रुपये। महापुराण भाग १ (नाभेयचरिउ पूर्वार्ध) ___महाकवि पुष्पदन्त कृत अपभ्रंश ग्रन्थ । अंग्रेजी प्रस्तावना तथा नोटस आदि के साथ सम्पादन : डॉ. पी. एल. वैद्य; हिन्दी-अनुवाद : डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन। . प्रथम संस्करण, डबल क्राउन, पृष्ठ ५५० (प्रेस में मुद्रण प्रायः पूर्ण)। भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (भाग-१, २, ३, ४) भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी, बम्बई की ओर से भारतीय ज्ञानपीठ के तत्त्वावधान में छह भागों में प्रकाशित होने वाले ग्रन्थ के प्रथम चार भाग । प्रथम भाग में उत्तरप्रदेश (दिल्ली और पोदनपुर-तक्षशिला सहित) के, द्वितीय भाग में बिहारवंगाल-उड़ीसा के, तृतीय भाग में मध्यप्रदेश के तथा चतुर्थ भाग में राजस्थान-गुजरातमहाराष्ट्र के समस्त तीर्थक्षेत्रों का परिचय-ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा पुरातात्त्विक पृष्ठभूमि में। चारों भाग क्रमशः ८४, ७९, ७१ और ९९ भव्य चित्रों तथा मार्ग दर्शाने वाले अनेक मानचित्रों सहित । मूल्य-प्रत्येक भाग ३०) रु. । दक्षिण भारत से सम्बन्धित भाग पांच और छह प्रकाशित होंगे। भारतीय ज्ञानपीठ बी ४५-४७, कॅनॉट प्लेस नई दिल्ली-११०००१ तीर्थकर : अप्रैल ७९/५७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
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