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________________ ही जाऊँगा (बोधकथा), अक्टूबर, पृ. १६; रण); वाणी मुखरित हुई धरा पर (कविता), मई, -निराकुलता (बोधकथा), नव.-दिस., पृ. ३ पृ. २३; -वाणी मुखरित हुई. - ‘महावीर भग(आवरण)। वान् की (कविता), नव.-दिस., पृ. ७६; नेमीचन्द जैन, डॉ. : आओ बनें भेड (सं.), संस्कृति का अभिषेक (कविता), अप्रैल पृ. ३ सितम्बर, प. ३; इतना तो करें ही (सं.), (प्रावरण) -साँसों के पंछी को - - (कविता), अप्रैल पृ. ३; -'उत्तराध्ययन' : गाथाओं में अगस्त, पृ. ६। गुथी सचाई, सितम्बर, 7. १७; -एक तीर्थयात्रा, बाबू लाल पाटोदी : नये युग के मंगलाचरण : जिसे भूल पाना असम्भव है, नव.-दिस., पृ. ५३; । जून, पृ. ३६ । -एक बात साफ है (सं.), अक्टूबर, पृ. ३; -क्या । भवानीप्रसाद मिश्र : आँख की पाँख (कविता), आप हँस सकते हैं (सं.), जन-फर., पं३; चर्चाः जन पृ. १८ । एलाचार्य मुनि श्री विद्यानन्दजी से, मार्च, पृ. १४; . जड़ें कुतरते चूहे (सं.), अगस्त, पृ. ३; -टूटने का • भागचन्द्र जैन 'भास्कर', डॉ. : पण्डित-परम्परा : सुख , जुड़ने की व्यथा (सं.), मई, १३; -पाँव गतिरोध और नवभूमिका, जून, पृ. १२७ । की आँख (सं.), जून, पृ. ५; -फिसलते सामाजिक । · भानीराम ‘अग्निमुख' : प्रेम का अभाव ही है यथार्थ (सं.), जुलाई, पृ. ३; -भेंट, एक भेदविज्ञानी नरक, नव.-दिस., पृ. ७३। से, नव-दिस., पृ. ३८; ये कुछ नये मन्दिर, नये माणकचन्द पाण्ड्या : एक निष्काम, समर्पित उपासरे, जन.-फर., पृ. ५२; 'समयसार' : गाथाओं व्यक्तित्व, जून, पृ. ३१ । में गथी सचाई (गाथा क्र. ८-१७-२५३) मई, पृ. १५; समयसार' : गाथाओं में गुथी सचाई (गाया मानवमुनि : वे सिर्फ दिगम्बर समाज के नहीं, १-३८-३८), अगस्त, पृ. १६; -साधुओं को जून, पृ. ३४। नमस्कार (सं.), नव.-दिस., पृ. ५; -हारे किताब महेन्द्र सागर प्रचण्डिया, डॉ. : मरा है कोई और जीतें मैदान (सं.), मार्च, पृ. ३।। (बोधकथा), मार्च, पृ. १ (आवरण)। ____ पन्नालाल जैन साहित्याचार्य, डॉ. : तीर्थयात्रा, रजनीश, आचार्य : स्वर्ग का स्वप्न , अगस्त,. नव-दिस., प. ५६; -समाज के उत्थान में जैन पण्डित-परम्परा का योगदान, जून, पृ. ९५; -हृदय __ रतनलाल जैन : श्रावक-निरूपित गुणों की में संतोष, वाणी में मृदुता, जून, पृ. २७ । साक्षात् मूर्ति, जून, पृ. ३४ । __ परमानन्द शास्त्री, पं. : हिन्दी के मध्यकालीन राम अवतार अभिलाषी : दहेज, दान से गुप्त-- जैन साहित्यकार, जून, पृ. ११५। दान, अगस्त, पृ. ७। __पुष्कर मुनि : व्रत : एक पाल, एक तट-बन्ध, राजकुमारी बेगानी : क्या हम किसी दुष्काल पृ. १३। से गुजरने को हैं (पण्डित-परम्परा), जून, पृ. ६१; पुष्पलता जैन, डॉ., समीक्षा-शिविरों का आयोजन, __ -भगवान् महावीर : सेवा आज के संदर्भ में (टिप्पणी) जून, पृ. १३८ । मार्च, प. २३; -हँसते-हँसते जियें, जन.-फर., पूनमचन्द गंगवाल : जीवन्त प्रतीक, जून, पृ.३५। पृ. १३ ।। प्रकाशचन्द्र जैन, डॉ, : आशा-स्तम्भ, जन, राजाराम जैन, डॉ. : जैन विद्या : विकास क्रम प.३५। कल, आज ; जुलाई, पृ. १७; (२) अगस्त, पृ. १५; प्रेमचन्द जैन लाला : 'मैंन किया ही क्या है ?' (३) सितम्बर, पं. २२; - (४) अक्टूबर, पृ.२७; जन, पृ. २५ । -(५) नव.-दिस., प., ८६; -(६) जन. -फर., "प्रेम सुमन जैन, डॉ. : 'पण्डित' : परिभाषा की पृ. ४७; - (७) मार्च, प. १६; (८) अप्रैल तलाश, जून, पृ. १११; -हँसते-हँसते मृत्य-वरण, पृ. ३०।। जन.-फर., पृ. ३३ । रामचन्द्र बिल्लौरे, डॉ. : तेरा-मेरा मनुवा कैसे 'प्रलयंकर' : गुस्ताखी मआफ, अग., प. १ एक होय रे ? , जून, पृ. १०६ । (आवरण); -अक्टूबर, प. १ (आवरण); लक्ष्मीचन्द्र जैन, प्रो. : अध्यात्मयोगी सहजानन्द : पण्डित आईने में, जन, पृ. १०३। अन्तिम पृष्ठ, मई, पृ. १९; -पण्डित-परम्परा और बनवारीलाल चौधरी : फैसला दें, अक्टबर, जैन गणित-विज्ञान , जुन, पृ. ७३ । पृ. २१ । लक्ष्मीचन्द्र 'सरोज' : अदीन तिवान/संघर्ष ___ बाबूलाल जैन 'जलज' : आज कौन तीर्थकर, सेनानी, जून, पृ. ३२ । आया चुपचाप (कविता), (अप्रैल पृ. ३ आव (शेष पृष्ठ ६७ पर) तीर्थंकर : अप्रैल ७९/५५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
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