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बन्दौ रे तोरथ
नैनागिरि
बन्देली लोकधुन पर आधारित
एक वन्दना-गीत
। कैलाश मड़बैया
ऊँची-ऊँची बजर पहड़ियाँ, जिनपै हसे लतायें। पार्श्वनाथ के समोसरण पै, जैसे ध्वज फहरायें।
बहे शीतल मन्द बयार
बन्दौ रे तीरथ नैनागिरि ।। ऊपर मन्दिर, नीचे मन्दिर, मन-मन्दिर मे मन्दिर । नैना रहे निहार, नीक निर्मल नीरव नैनागिर।
दये तन-मन-धन सब हार
बन्दौ रे तीरथ नैनागिरि ।। मध्य सरोवर का जल-मन्दिर सचमुच नैनन भाये। क्षीरोदधि में जैसे जिनवर, स्वयं रथ लेकर आये।
करे लहर - लहर जयकार
बन्दौ रे तीरथ नैनागिरि ।। वरदतादि ऋषि जहाँ से, पाये मोक्ष दुआरे। घयों न रॉवर जाएँ दर्शन से बिगड़े भाव हमारे।
नमो रे आ, रेशन्दीगिरि
बन्दौ रे तीरथ नैनागिरि ।। चन्दा-सुरज, रैन-दिवस, जहाँ नित दीपक उजयारे। प्रकृतिनटी आ करे आरती, तीर्थकर के द्वारे।
517 74 Peta Privat Only बन्दौ रे तीरथ नैनागिरि।
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