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जोधपुर (१९७३), अजमेर (१९७४), ब्यावर (१९७५), दिल्ली (१९७६), जोधपुर (१९७७), रतलाम (१९७८), उज्जैन (१९७९), इन्दौर (१९८०), घाणेराव सादड़ी (१९८१), ब्यावर (१९८२), उदयपुर (१९८३), जोधपुर (१९८४), रतलाम (१९८५), जलगाम (१९८६), अहमदनगर (१९८७), बंबई (१९८८), मनमाड़ (१९८९), ब्यावर (१९९०), उदयपुर (१९९१), कोटा (१९९२), आगरा (१९९३), कानपुर (१९९४), दिल्ली (१९९५), उदयपुर (१९९६), जोधपुर (१९९७), ब्यावर (१९९८), मंदसौर (१९९९), चित्तौड़ (२०००), उज्जैन (२००१), इन्दौर (२००२), घाणेराव सादड़ो (२००२), ब्यावर (२००४), जोधपुर (२००५), रतलाम (२००६), कोटा (२००७)।
पदवियाँ : जगद्वल्लभ, प्रसिद्ध वक्ता, जैन दिवाकर
साहित्य-सृजन : भगवान् महावीर का आदर्श जीवन, जम्बू कुमार, श्रीपाल,
भविष्यदत्त, चम्पक सेठ, धन्ना, शालिभद्र, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ आदि चरित्र; आदर्श रामायण, जैन सुबोध गुटका, चतुर्थ चौबीसा आदि के अलावा कई उपदेशपरक स्तवन, निर्ग्रन्थ-प्रवचन का संपादन
लोकोपकार : लाखों लोगों द्वारा मांस-मदिरा, गांजा, भांग, तम्बाकू का त्याग;
कई राजाओं द्वारा शिकार एवं पशुबलि का त्याग'; प्रेरणा प्रदान कर कई शिक्षण-संस्थाओं, पांजरापोलों, वृद्धाश्रमों आदि लोकोपकारी संस्थाओं की स्थापना
शिष्य-परिकर : सर्वश्री मुनि शंकरलालजी, उपाध्याय प्यारचंदजी, कवि केवल
मुनिजी, तपस्वी माणकचन्दजी आदि विविध प्रतिभाओं के धनी ४० से अधिक शिष्य, तथा चन्दन मुनि, मूल मुनि, विमल मुनि, अशोक मुनि आदि अनेक प्रशिष्य
अवदान : संघ-ऐक्य के लिए “वीर वर्द्धमान श्रमण संघ" का निर्माण; अन्तिम
वर्षायोग कोटा (राजस्थान) में दिगम्बर आचार्य श्री सूर्यसागरजी और श्वेताम्बर आचार्य श्री आनन्दसागरजी के साथ सम्मिलित प्रवचन
दिवंगति : कोटा (राजस्थान); ७४ वर्ष के आरंभ में, वि. सं. २००७ मार्ग
शीर्ष शुक्ला ९, रविवार
संयोग : जन्म- रविवार; दीक्षा- रविवार; दिवंगति- रविवार
चौ. ज. श. अंक
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