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समाचार-परिशिष्ट
स्व. मुनिश्री चौथमलजी द्वारा विषम परिस्थियों में भी
अहिंसा का व्यापक प्रचार जैन दिवाकर मुनिश्री चौथमल जन्म-शताब्दी वर्ष का शुभारंभ - 'जब विश्व में हिंसक प्रवृत्तियाँ पनपने लगती हैं और उसके क्रूर प्रहारों से चारों ओर भय और अशान्ति का वातावरण व्याप्त हो जाता है, ऐसे समय में महान् सन्त-पुरुषों के अहिंसा-सिद्धान्त के सुदृढ़ स्त-भ पर ही विश्वशान्ति को स्थापित किया जा सकता है। आज देश में असात्त्विक प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं । सन्त और समाज मानवीय उद्देश्यों से प्रेरित होकर देश को सात्त्विकता की ओर मोड़ सकते हैं। जैन दिवाकर मुनि श्री चौथमलजी ने अपने समय में विषम एवं विरोधी परिस्थितियों में भी अहिंसा का व्यापक प्रचार किया ।' उक्त उद्गार जैन कांफ्रेंस के मध्यप्रदेशीय शाखा के अध्यक्ष श्री सौभाग्यमल जैन ने इन्दौर-स्थित महावीर चौक में जैन दिवाकर जन्मशताब्दी-वर्ष के शुभारम्भ (२३ नवम्बर, ७७) पर आयोजित समारोह में व्यक्त किए। →
जैन दिवाकर विद्या निकेतन का भूमि-पूजन करते हुए श्री सागरमल बेताला और श्रीमती सुशीलाबाई बेटाला। (न्यू पलासिया, इन्दौर; १ दिसम्बर, १९७७)
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