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________________ संकलित अमृतवाणी ( यह पुस्तक मुनिश्री के इन्दौर वर्षायोग में दिये गये कतिपय महत्त्व - पूर्ण प्रवचनों के मुख्यांशों का संकलन है ) इन्दौर, १९७२ ॥ पच्चीस सौ वाँ वीर - निर्वाणोत्सव कैसे मनायें ( दिल्ली में ८ जुलाई, १९७३ Satara कान्तिकारी प्रवचन का संपादित रिर्पोटिंग, दिशादर्शन देने में समर्थ तेजस्वी विचार), इन्दौर, १९७३ । मंगल प्रवचन ( गांधी - शताब्दी पर प्रकाशित इस पुस्तक में १०५ विषयों का समावेश किया गया है । मुनिश्री द्वारा समय-समय पर दिये गये प्रवचन का यह विषयानुक्रम में संकलित एवं संपादित सार-संक्षिप्त है ) ; मेरठ, द्वितीय संस्करण १९६९। मंगल प्रवचन ( गांधी - शताब्दी पर प्रकाशित द्वितीय संस्करण १९६९ का यह पॉकेट बुक में तृतीय संशोधित संस्करण है । इन मंगल प्रवचनों का स्वरूप ही कुछ ऐसा है कि इन्हें पढ़ जाने पर जैनधर्म की एक लोकोपयोगी मूर्ति स्वयंमेव आँखों के सामने आ खड़ी होती है); श्री महावीरजी ( राजस्थान, ) १९७३ । ज्ञान दीप जलें (प्रेरक प्रसंगों से भरपूर मुनिश्री के अहिंसा का पथ प्रशस्त करने वाले विचार नवनीत, इस पॉकेट बुक में श्रमण संस्कृति और उसकी उपलब्धियाँ, संस्कृति और धर्म, धर्म दिगम्बर मुनि और श्रमण, दीपावली, समय का मूल्य, अरभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग, सप्त व्यसन आदि विषयों का सारांश दिया गया है), मेरठ १९७३ । मुनि विद्यानन्द की जीवनधारा ( स्व. विश्वम्भरसहाय प्रेमी द्वारा लिखित इस पुस्तक में मुनिश्री की विचारधारा तथा प्रेरक सन्देश संक्षिप्त रूप में संपादित किये गये हैं, साथ ही अनेक संतों, विद्वानों और नेताओं से उनकी भेंटों का विवरण भी दिया गया है), सहारनपुर, १९६९ । हिमालय में दिगम्बर मुनि ( पद्मचन्द्र शास्त्री द्वारा रचित यह ग्रन्थ मुनिश्री के आध्यात्मिक परिव्रजन तथा चातुर्मास की दैनंदिनी है, इसमें उनके प्रवचनों के जो भी अंश आये हैं, वे भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञों के बड़े काम के हैं, इसमें मुनिश्री के विराट् व्यक्तित्व का आभास मिलता है । संपूर्ण कृति मुनिश्री के आत्मबल और प्रखर साधना गौरव गाथा है । यह एक यात्रा ग्रंथ तो है ही, साथ ही यह ऐसा अद्वितीय ग्रन्थ भी है, जिसमें इतिहास, समाजशास्त्र, संस्कृतिशास्त्र, भाषा-विज्ञान, धर्म तथा नीतिशास्त्र, प्रजाति - विज्ञान इत्यादि आकलित है । प्रस्तुत ग्रन्थ मुनिश्री की आत्मोपलब्धि का सार - संक्षेप तो है ही, लोकोपलब्धि का भी एक सशक्त संदर्भ है ), श्रीनगर - गढ़वाल (हिमालय), १९७० । ८८ Jain Education International For Personal & Private Use Only . तीर्थंकर / अप्रैल १९७४ www.jainelibrary.org
SR No.520601
Book TitleTirthankar 1974 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1974
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size5 MB
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