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________________ ७४ अनुसन्धान-७९ को समकीत अंगि, धरि मनरंगि, रूपां... को वरत उचार, करि सुभकार, रूपां... तीहां वासण बोलइ, अमृत तोलइ, रूपां... अम्ह संज्यम लीजइ, मातसुं दीजइ, रूपां... नीसुणी गुरु आम, बोलि ताम, रूपां... वलंब न करज्यो, चीतमांहि धरज्यो, रूपां... इंम कही गणधार, करइ वीहार, रूपां... पांच सुमति सुमतां, नही कांइ ममता, रूपां... अनुक्रमइ पहुता, वीहार करंता, रूपां... राजनगरि पधारा, भवीजन तारा, रूपां... तीहां वासण आवइ, हरख न मावइ, रूपां..., गुरु-चरण वंदी, मनि आणंदी, रूपां... कहि कर जोरी, संयम गोरी, रूपां... आपु गुरुराज, सारू मुझ काज, रूपां... वासण-वाणी, काने सुहाणी, [रूपां] महुरत अभीराम, लीधुं ताम, रूपां... संवत सोल कहीइ, बहितालउ (१६४२) लहीइ, रूपां..., महा सुधि सारी, दसमी धारी, रूपां... सुकर सुभ वार, महुरत सार, रूपां... सा. वधुउ( ओ) सुभ चीत, वावरि वीत, रूपां... सरिखं प(ए) सोहाउ, सोहासणि गाउ, रूपां... सुखासनि सोहि, भवीमन मोहि, रूपां... जाणे देवकुमार, सकल गुणधार, रूपां... आगलि पाखरीआ, मनोहर करीआ, रूपां... पंचसबद नीसाण, वजावइ जाण, रूपां... खीर वषि पहउता, मनसुं गहिगहिता, रूपां... महा मुछव कीधउ, संयम लीधर, रूपां... मातनी साथि, विजइसेनसुरी हाथि, रूपां... ८४ (अ) ८४ (ब)
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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