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________________ जान्युआरी - २०२० चुआ चंदनना वास, बिहिकि बहु परी, आगलि अगर उखेविइ ए, पंच-वरण वर फुल, गुथ्यां गुणि करी, ते सज्या उपरि ठव्यां ए. एहवउ सघलउ संच, भोग तणउ भलउ, साह थरा घरि जाणीइ ए, घरणी घरनी मेढि, रूपां सीलि ए, सीता समोवडि आणीइ ए. विहिरी सयल सणगार, सुंदरि सुखभरी, जिनभगति भावि करी ए. नही आरति उचाट, पोढी सेजडी, जिनवर ध्यान हईइ धरी ए. पंच वीषइ सुख जेह, भरतार भामिनी, भोगवतां भावि सदा ए तीणइं अवसरि एक सुर, आवी उपर्नु, गज-सपन सुचीत तदा ए. रंगभरि रमतु जेह, घुघर घांट ए, घमघमता अंगि घणा ए, स्वेत-वरण सुकमाल, लख्यण लखीत, एहवउ गयवर पेखीउ ए. तव जागी सा नारि, आणंद अती घणउं, सपरभाति सा सुंदरी ए. पहउती नीज प्रीउ पास, प्रहि उगम समइ, वधावीनइ वीनवि ए. सुणउ सामी मुझ वात, आज रयणी तणी, सपन सार मि पेखीउ ए, तेहनु कहउ वीचार, वीनती वीनवु, एहनुं सु फल लेखीइ ए.
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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