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________________ जान्युआरी - २०२० तेमज कुंकुम-केसरना छांटणाथी तथा विविध सुगन्धी द्रव्यो वडे भूमि वासित कर्यानी विगतो आलेखाय छे. खास तो आ प्रसंगे विमलहर्ष उपा. सहित ५ वाचको, केटलाक पंडितो तेमज अन्य मुनिओ सहित कुल ५५० साधु भगवंतो पधार्यानी मने तेमणे विजयसेनसूरिजीनी तेमज संघनी साथे विजयदेवसूरिजीने वांदणा आपवापूर्वक वन्दना कर्यानी विगत ढाळनी महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक सामग्री छे. वळी अहीं पद्य २६१मां उल्लेखित "सूरिमन्त्र ते दीधउजी" ए पद ते समये वांदणा महोत्सवमां सूरिमन्त्र अपातो होवानी विगत तरफ आपणुं ध्यान दोरे छे. काव्यान्तनां पद्योमां “रंगराज" एवं रास, अभिधान जणावी कवि रासनुं समापन करवा तरफ आगळ वधे छे. आ समापन क्रममां कविए सौ प्रथम पोतानो श्री(लक्ष्मी)सौभाग्यना शिष्य तरीके परिचय आपी त्यार पछी आ स्तवना रचवानुं प्रयोजन, कृति रचनानु स्थळ तथा संवत्नो उल्लेख करवापूर्वक काव्य- समापन कयुं छे. हस्तप्रत-सम्पादन : __ प्रस्तुत कृतिनी १ मात्र प्रत पाटण-श्री हेमचन्द्राचार्य ज्ञानमन्दिरमां सचवाई छे. ते प्रतना आधारे ज अहीं कृतिनुं सम्पादन करायुं छे. जो के लहियाए कृतिनी जे मूळ प्रत परथी कृतिनुं लिप्यन्तर कर्यु हशे ते लिप्यन्तरमां चीवट न राखी होवाथी लिप्यन्तर थोडे घणे अंशे अशुद्ध थयुं छे. माटे एटला पाठ सुधारवा करता मूळ अशुद्ध पाठने फक्त बोध थाय तेटलो ज शुद्ध करी तेनुं सम्पादन करवू योग्य जणाता अमे ते रीतने अहीं अनुसर्या छीए. कृतिकार : कृतिकार कनकसौभाग्यजी पंडित श्रीसौभाग्य (लक्ष्मीसौभाग्य)ना शिष्य होवानुं काव्यमां नोंधायुं छे. जो के ते पूर्वेनी तेमनी परम्परानो काव्यमां कशो उल्लेख नथी. परन्तु कविनी प्रौढ रचनाशैली जोतां तेमणे रचेली अन्य कृतिओमां कदाच ते सम्बन्धी कोई उल्लेख मळे तेवी सम्भावना खरी. प्रस्तुत कृति सम्पादन माटे हस्तप्रतनी Xerox उपलब्ध कराववा बदल श्रीहेमचन्द्राचार्य ज्ञानभण्डारना व्यवस्थापकनो खूब खूब आभार.
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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