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________________ जान्युआरी - २०२० श्रीकनकसौभाग्य-कृत विजयदेवसूरिरंगरत्नाकर (रंगराज?) रास - सं. मुनिसुयश-सुजसचन्द्रविजय विजयदेवसूरिजी - बादशाह जहांगीरे जेमनी जीवनचर्याथी प्रभावित थई जेमने "महातपा"ना बिरुदथी नवाज्या तेवा, विजयहीरसूरिजीनी परम्पराना, प्रभावशाळी पुरुष एटले विजयदेवसूरिजी. आम तो तेमना चरित्र उपर "विजयदेवमाहात्म्य", "विजयदेवसूरि निर्वाण रास", "विजयदेवसूरि सज्झाय" जेवी केटलीक प्रकाशित कृतिओ मळे छे. परन्तु प्रस्तुत कृति अप्रकाशित होवानी साथे साथे सूरिजीना जीवननी अप्रसिद्ध घटनाओ, पण आलेखन करती होइ अहीं तेनुं सम्पादनार्थे चयन करायुं छे. कृतिसार काव्यना मङ्गलाचरणना दूहाओमां कविए मा शारदाने, पंच परमेष्ठिने तथा पोताना गुरुजनोने नमस्कार करी प्रथम ढाळनी शरुआत करी छे. गुडी रागमां गवायेली आ ढाळना प्रथम भागमां कविए इडरनगरनु, त्यांना प्राकृतिक सौन्दर्य,, लोकसमृद्धिमुं, राज्याधिकारीओनुं तेमज लोकमानसनुं खूब ज थोडां पण रसाळ पद्योमा वर्णन कर्यु छे. ज्यारे ढाळना बीजा तबक्कामा चरित्रनायकना माता-पिताना गुणवर्णनथी प्रारम्भी तेमनी भोगसमृद्धिनुं सांसारिक सुखान्त फळ स्वरुप शुभ स्वप्नथी सूचित कोइ जीव गर्भरूपे अवतर्यानुं पत्नी वडे स्वप्नफळ पूछतां पतिए कहेला फलादेशनुं तेमज सवार थतां ज्योतिषी पासेथी पण स्वप्नफळ जाणी आनन्दित थतां दम्पती- वर्णन करतां पद्यो जोई शकाय छे. __काव्यनी बीजी ढाळमां घणे अंशे पुत्रजन्मोत्सवनुं तथा तेना विद्याध्ययनवर्णन छे. सामेरी रागनी आ ढाळना शरुआतनां २ पद्यो गर्भपरिपालननी रीत वर्णवे छे. त्यार पछी- त्रीजुं पद्य प्रक्षिप्त होवा छतां पुत्रजन्मना संवतादि दर्शावतुं होई महत्त्व, छे. पुत्रनो जन्म थता पिता वडे करायेला जन्मोत्सवनुं वर्णन ते पछीनां थोडां पद्योमा गुंथायुं छे. आ वर्णनमां खास नोंधवा योग्य "ज्योतिषी पासे पुत्र जन्मनो फळादेश जाण्यानी, दस दिवस थये शुभ दिवसे स्वजनवर्गने
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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