SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुसन्धान-७९ पण्डित श्रीहर्षकल्लोलगणिरचितं श्रीत्रिंशत्तीर्थकरस्तोत्रम् - सं. मुनि श्रुताङ्गचन्द्रविजयः प्रस्तुत स्तोत्रमा त्रीश तीर्थंकर परमात्मानी स्तुति करवामां आवी छे. मौन एकादशी तरीके प्रसिद्ध मागसर शुदि अकादशीना दिवसे ९० भगवानना कुल १५० कल्याणक थयां छे. ९० भगवाननी गणतरी आ प्रमाणे छे : ६ भरतक्षेत्र अने ५ औरावतक्षेत्रना वर्तमान चोवीशीना ३-३ तीर्थंकर ओटले कुल ३० तीर्थंकर. ते ज रीते अतीत चोवीशी अने अनागत चोवीशीना पण ३-३ तीर्थंकर अटले कुल ६० तीर्थंकर. आम, कुल मळीने ९० तीर्थंकर थाय छे. आ ९० तीर्थंकरमाथी ३० तीर्थंकरना उपरोक्त दिवसे ३-३ कल्याणक थया छे अने शेष ६० तीर्थंकरना ११. तेथी ९० तीर्थंकरना १५० कल्याणक थाय छे. प्रस्तुत कृतिमां ५ भरतक्षेत्र अने ५ ऐरावतक्षेत्रना वर्तमान चोवीशीना ३-३ तीर्थंकरनी स्तुति करवामां आवी छे. जे तीर्थंकरना १-१ कल्याणक थया छे तेमनी १-१ श्लोक द्वारा अने जे तीर्थंकरना ३-३ कल्याणक थया छे तेमनी ३-३ श्लोक द्वारा स्तुति कराई छे. आम, ५० श्लोक स्तुतिना अने ४ श्लोक अन्य - कुल मळीने ५४ श्लोक प्रमाण आ स्तोत्र छे. सम्पूर्ण स्तोत्र अनुष्टुप् छन्दमां छे, एकमात्र आठमो श्लोक आर्याछन्दमां छे. स्तोत्र सरळ अने मधुर छे. श्लोके-श्लोके प्रयुक्त उपमाओ कर्तानी कल्पकतानो परिचय करावे छे. पं. हर्षकल्लोलगणि १६मी शताब्दीमां थई गयेला आचार्य आगममण्डन सूरिजीना शिष्य छे. सम्पादन माटे हस्तप्रत आपवा बदल तथा जरुरी सलाहसूचनो आपीने अने सम्पादनगत क्षतिओने दूर करीने कृतिने निर्दुष्ट करवा बदल पू. आचार्य भगवंत श्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजी म.नो हुँ खूब ऋणी छु. स्तोत्रगत तीर्थंकरोना नामोमां अने प्रचलित नामोमां केटलीक भिन्नता जोवा मळे छे जे नीचे मुजब छे :
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy