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________________ ओक्टोबर - २०१९ ३९ ढाल - [३] हो लाई बांभणीआ - ए देशी ॥ हो प्रीउ पातलीआ, [आंकणी] थे छो सघला नरमां इंद्र जो, में छां इंद्राणी सवि नारिमां रे लो, हो० बीजा नर तारा थे चंद जो, में छां रोहिणी मंकी(खी) मा(ना)रिमा रे लो ॥१॥ हो०॥ थे छो कीकी मे छां आख्य जो, मे छां घर थे छो घररा धणी रे लो, हो० मे छां पंखी थे छो पांख जो, मे धण२० थे छो गोवाला गुणी रे लो ॥२॥ हो०॥ मे छां थाहरा पगरी धूलि जो, थे छो मांहरा सिररा सेहरा रे लो, हो० थे छो माहरा देव अमूल जो, मे छां प्रीतम थाहरां देहरा रे लो ॥३॥ हो०॥ थे छो तरवर मे छां वेलि जो, मे छां वाडी थे छो सूअडा रे लो, हो० थे छो मोरा मे छां ढ(ढे)लि जो, थे छो माली में छां रुंखडां रे लो ॥४॥ हो०॥ थे छो मधुकर चतुर२२ सुजाण जो, मे तुम्ह प्रेम सरोवर कमलनी रे लो, हो० पीडइ मयणनां पूरां बाण जो, म्हां परि प्रीति ढाल धरो अमलनी रे लो ॥५॥हो०॥ मे छां हंसी थे छो हंस जो, थे छो चकवा मे चकवी सही रे लो, हो० मे मुंदरडी थे अवतंस जो, थे छो सायर मे गंगा ल(स)ही रे लो, ॥६॥ हो०॥ पाली इतरा दिन ईउं प्रीतिजो, हवई किउं विरचो(विचरो) छो विण कारणि रे लो, हो० मे छां रंग मजीठी जेम जो, पाये पडां प्रीउ २४जावां उआरणि रे लो ॥७॥हो० इउं किउं छटकि दीजई छेह जो, मे तु नेह निवड थांसुं किउ रे लो, हो० जन देखत चोरीमां जेह जो, किण कामई करमई कर घेलीओ रे लो ॥८॥ हो० स्त्रीनइं आलंबन कहिआं तीन जो, पहिलु बालपणि मातापिता रे लो, हो० जोवन आलंबन प्रीउ कीन जो, बूढपणि आलंबन सुतहिता रे लो ॥९॥ हो० जीवन थे जल मे छां मीन जो, जल विण मीन मरइं प्रिउ तडफडी रे लो, हो० कंत विहूणी कामिणि दीन यो, विरहणी वनिता किउं रहई अधघडी रे लो, ॥१०॥हो० १९. थाय - ब. । २१. रजरेणि - अ। २३. प्रीत धरो रुडें मनि रे - अ। २०. में छां धणि थे छो धणिरा धणी रे - अ । २२. भमर - अ। २४. जाण(वा) न दारे - अ ।
SR No.520580
Book TitleAnusandhan 2019 10 SrNo 78
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages98
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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