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________________ अनुसन्धान-७८ प्रवचन-सारोद्धार सुवृत्ति, भवभावना वृत्ति प्रवृत्ति, कायस्थिति स्तवन वृत्ति भणी, श्रावकदिनकृत वृत्ति पणि गणी. १४ लघु संग्रहणी वृत्ति वखाणि, पुष्पमाला वृत्ति पणि जाणि, दर्शनसुद्ध प्रकरण ते भणओ, धर्मरत्न प्रकरण वृत्ति सुणउ (ओ). १५ इत्यादिक ग्रंथ अणुसारि, सूक्ष्म अनादि निगोद विचारि, कह्या जीवने अव्यवहारिया, ते टाली सवे व्यवहारिया. १६ सागरोवाचनिगोद सूक्षम बादर बेउ, सूक्षम पृथ्व्यादिक चउ भेउ, ए छएनइं अव्यवहारी भणइ, सागर सकल सास्त्र अवगणइं. १७ बोल-१ भगवति(ती) सूत्र वृ[त्ति] नई विषइ, आचारांग वृत्ति पणि अखइ', अवश्यइं भावी पणि सदीव, केवली-शयरि' हणाइं त्रस जीव. १८ सागसेवाचजउ केवली त्रस थावर हणई, तउ ते केवलीनइं कुण गणई, . ते केवली आहेडी० जाणि, एहवी छइ ए सागर वाणि. १९ बोल-२ भगवती सूत्र वृत्तिथी लहिउं, प्रवचन-परीखोमाहिं कडं (हिउं), जीवघात केवलीनइं थाइ, क्रिया आरंभ(भि)की नवि कहिवाइ. २० सर्वज्ञशतकमाहिं ऊचरइ, केवली जीव आरंभ नवि करइ, वडा सागर तणी दोइ वाणि, कहउ कुण खोटी कुण प्रमाण. २१ बोल-३ श्रीजिनवचन ऊथापइ रती१२, तेहनइं आपण कहीइ मती१३, तेहगें धर्म कर्म सवे फोक, अनंत संसारी कहीइ रोक ४. २२ आचारांग सूत्र भगवती, ऊथापइ ते कां नही मती, आपणा पुत्र परना झोटींग१५, एणइं न्याइं सागरमत डींग१६. २३ श्राद्ध-प्रतिक्रमण सूत्र-चूरणइं१७, पंचासक सूत्र वृत्ति भणई, श्राद्धविधिनी वृत्ति संभाली, प्रमुख ग्रंथमाहिं कहिउं पवित्र. २४ श्रावकदिनकृत वृत्ति सांभलउ, उपदेश रत्नाकर वृत्ति मिलउ, योगशास्त्र वृत्ति वीर चरित्र, प्रमुख ग्रंथमाहिं कहिउ पवित्र.1 २५ 1. २४-२५ कडीमां चोथु चरण समान छे. २४मां ते जुदुं होवू जोईए.
SR No.520580
Book TitleAnusandhan 2019 10 SrNo 78
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages98
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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