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________________ अनुसन्धान-७८ २. केवलीना शरीरथी त्रस जीवो २. केवलीना शरीरथी त्रस अने स्थावर अवश्यपणे हणाय. जीवनी विराधना सर्वथा थती नथी. ३. केवलीना शरीरथी जीवघात थवा ३. केवलीना शरीरथी जीवघात ज थतो छता आरंभिकी क्रिया तेमने लागती नथी. नथी. ४. मरीचीना वचनने उत्सूत्रवचन माने ४. मरीचीना वचनने दुर्भाषित वचन माने छे. ५. जमालीना पंदरथी लइ अनन्त भवो ५. जमालीना अनन्त भवो ज कहे छे. कहे छे. ६. "परपक्षीना पण धर्मकर्म (सकतो)नं ६. "परपक्षीना धर्मकर्म (सुकृतो)नुं अनुमोदन करवानी ना न कहेवी" अनुमोदन करवाथी मिथ्यामति तेवू कहे छे. थवाय" एम जणावी तेओ तेमनी अनुमोदनानी ना कहे छे. ७. उत्सूत्रभाषीने संख्यात, असंख्यात ७. उत्सूत्रभाषीने नियमेन अनन्त संसारी तथा अनन्त संसार पण होई शके कहे छे. छे तेवू कहे छे. ८. प्रभु वीर निर्वाण थकी ९९३ वर्षे ८. प्रभु वीर निर्वाण थकी ४५३ वर्षे चोथना दिवसे पर्युषणपर्वनो प्रारम्भ चोथना दिवसे पर्युषणपर्वनो प्रारम्भ थयारों कहे छे. थयार्नु कहे छे. ९. श्रावकने द्रव्यस्तव तथा भावस्तव ९. श्रावकने फक्त द्रव्यस्तव ज होय बन्ने होय तेवू कहे छे. तेवू कहे छे. १०. "कुलमण्डनसूरिजी तथा ज्ञान- १०. कुलमंडणसूरि तथा ज्ञान-सागरसरिने सागरसूरिजी तपागच्छनी पट्टावलीमा तपागच्छनी पट्टावलीमां गणे छे. नी" एवं जणावे छे. ११. तेओ देश विसंवादी ७ तथा सर्व ११. तेओ परपक्षीमात्रने पण निह्नव माने विसंवादी १ एम कुल ८ निह्नव छे. माने छे.
SR No.520580
Book TitleAnusandhan 2019 10 SrNo 78
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages98
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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