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________________ अनुसन्धान-७७ तथा सभामध्ये नववखाणे कल्पसूत्र वांचु छु ते अक्षर किहां सूत्रमांहि छइ ? साहामु निशीथचूर्णिमांहिं नववखाणे सभासमक्ष श्रीकल्पसूत्र वांचइ तेहनइं प्रायश्चित्त कहउं छइ । तउ सभासमक्ष किम वांचउ छउ ।२। तथा कालग्रहणपूर्वक रात्रि श्रीकल्पसूत्र वांचवु कहउ छइ, अनइ हवडां कालग्रहण पाखि दिवसि कल्पसूत्र वांचउ छउ, ते अक्षर किहां सिद्धांतमांहिं छइ? ॥३॥ तथा "ठवणी मांडु छु', ते अक्षर किहा सिद्धांतमांहि छइ ! ।४। तथा मोरपीछानां डंडासणां वावरो छउं, ते अक्षर किहां सिद्धांतमांहि छइ ? ५। तथा शलीइं कान वधारवा कीद(हां) सिद्धांतमांहिं छइ ? ।६। तथा स्वर्गप्राप्त साधुनुं शरीर परठववाना अक्षर सिद्धांतमध्ये छइ अनि हवडां अग्निसंस्कार थाइ छइ, ते अक्षर किहां सिद्धांत किहा प्रकरणमांहिं छइ ? ७ तथा "उपधान वह्या विना नमस्कारादिक सूत्रां भणइ तु अनंत संसार वधारइ" एहवा अक्षर महानिशीथमध्ये छइ अनि हवडां उपधान वया विना नुकारप्रमुख सूत्रां समस्त श्रावक-श्राविका भणइ छइ अनइ भणावु छु, ते अक्षर किहा सूत्रमांहिं छइ ? ।८ तथा "छासि त्रिविहारमांहिं कल्पइ" एहवा अक्षर श्राद्धविधिप्रमुखनि विषइ छइ अनि हवणां पाणीना आहारमांहिं छासि नथी लेवाती ते स्युं कारण? ।९। तथा 'गुल दुविहारमांहिं कल्पई' एहवा अक्षर भाष्यादिक ग्रंथमध्ये छ। अनि हवडां गुल अशनमध्ये गणइ छइ, दुविहारं कल्पावती नथी, ते अक्षर किहां सूत्रमांहि छइ ? ।१०। इत्यादिक बोल सिद्धांतमध्ये कह्या नथी, अनि हवडां केटलाएक बोल शास्त्रमाहिं कह्या छइ, ते करतां नथी । ते आचरणाइं गुरुनी परम्परा जिम मानीय छइ तिम ज श्रीहीरविजयसूरीश्वरइं चोथा बोलनइ विषइ लिखिउं छइ । जे दिगंबरना चैत्य (१) केवल श्राद्धप्रतिष्ठित चैत्य (२) द्रव्यलिंगीनइं द्रव्यइं निष्पन्न
SR No.520579
Book TitleAnusandhan 2019 07 SrNo 77
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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