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________________ जून - २०१९ ११५ २१८ रस उपजइ सुख जिम तुम्हनइ करो तेह विचार रे धर्मनो प्रतिबंध म करो गई नावइ वार रे... आदेश मागइ कंत पासइ देखिनइ प्रस्ताव रे गुरुनी लाजइ बोल न सक्यो देखीओ मनभाव रे... वंदना करि ऊठि चाल्यां आवियां पुर माहिं रे पवनराजा इम चिंतइ लेउं दीख उछाह रे... ओ प्रिया मुझ प्राणवल्लभ छंडि मो मई जाय रे संसार सूनो ओह पाखई कहो कीम रहाय रे... अम चिंतवि तेडि हनुमंत सुपीयो राजभार रे करइ महोत्सव घणइ हरखई लीयई व्रत सुविचार रे पालखीइ बेइसी चाल्या घणा नर हय थाट रे भेरि भुंगल संख वाजइ पडह दुंदुभि झाटि रे... आवियां इम करतां गहमह सगुरु पासइ खंत रे संकोच करि मन वचन काया लोच कीध अभ्रांत रे... अंगनइ उपांग भणिनइ आदरइ तप घोर रे । करइ सूधी कठिन किरीआ हणइ मनमथ चोर रे... घणा वरसां लगई इण विधि सुद्ध चारित पालि रे अंजनानइ पवन मुनिवर लहई स्वर्ग विशाल रे... सार सुख सुर तणां भोगवि तिहां थकी चवि तेह रे महाविदेह ले चारित्र सीजस्यइ निसंदेह रे... आठमी ओ ढाल सुणतां कर्म तटइ कोडि रे पुण्यसागर कहइ प्रांणीया सुणो मच्छर छोडि रे... ढाल : फागनी होलीइं गावइ सो जाणिज्यो आ हे अंजना केरी चोपई, पूरण हुई अह जे नर भणस्यइ भावस्युं मंगल लहस्यइ तेह... आ हे सतीयांरइ सिरइ अंजना बोलइ कविराय सांभलता ऊलट लहसइ हईयडइ हरख न माय... २२० २२१ २२३ २२४ २२६
SR No.520579
Book TitleAnusandhan 2019 07 SrNo 77
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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