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________________ जून - २०१९ नरनारीथी उपनी रे, नारी अनोपम एक, बालकनइं ते वालही रे, जाणइं पंडित एक सुंदर कहू कूण नारी कहइ, जाणपणाथी लहीइ... १ नारी जव श्रवणे सुणी रे, लागई अतिहिं रसाल, नारी ते वलि थीर नही रे, विणसई ते ततकाल रे... सुंदर० २ देह विना ते बोलती रे, रूप नहीं लगार; मानविजय कहइ जाणयो रे, जिन हुँलावण सार रे... सुंदर० ३ [ ] सहीयर हे में तो अभिनव दीठं, पनर जीभ सोल लोयणा ए, बेहनर हे आठ माथा एक पूंछडूं ए; । सहीयर हे काया होय ते जिनवर नमुं ए, बेहनर हे कीडीइं मेरु उपाडीओ ए... सहीयर हे लाख पुरुसें नारी घडी ए, बेहनर हे परनारीथी शिव लह्यो ए: सहीयर हे हाथी माथें मसो चढ्यो ए, बेहनर हे हेडमां पेठो चउटें फरै ए... सहीयर हे सुके काष्ट अनेक फलां ए, बेहनर हे परनिंदा सुख लह्यो रे; सहीयर हे केवलनांणी देखे नहिं रे, बेहनर हे तरुणी विना सामायक करें ए... सहीयर हे सीआलें सीहने वश कर्यो ए, बेहनर हे राजा सेवकनें नमै ए; सहीयर हे तांतणे बांध्यो सिंह फरै ए, बेहनर हे अगनि विना तपतो गिरी ए...
SR No.520579
Book TitleAnusandhan 2019 07 SrNo 77
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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