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________________ जान्युआरी- २०१९ १०५ १०६ १०७ १०८ सामीपे छई पंखीआ चकवा चकवी जोडि निशि वियोगी दिन मिलई दैवई दीधी खोडि. स्त्री विण नर न रही शकई नारी विण भरतार जामि फिरंतां निशि तणां ओम विहाइ च्यारि. सुणि मित्र आखउं वात सी आछी कहूं निगेम तुझथी ओ पंखी भला जे घट ओवडो प्रेम.. रंभा अपछर संदरी छंडी बाली वेश प्रीतम वेछई अेक क्षण अवडो कस्यो अंदेश. ईम सुणी कुमर विमासीउं साच कहई छई भाई मिली आq पाछो जई तउ मुझ सफल विहाय. चित्तस्युं चीतवी ऊठीयो मानी मित्र वचन्न अंतरायरो क्षय हूउ आणंद पाम्युं मन्न. १०९ ११० ११२ प्री० .. ११३ प्री० ढाल - ४ : सीआलारी (राग-मल्हार) कुमर तिहाथी आवीयो अति परछन मेडी आवास कि अंजना बेइठी मालीइं शोकातुर हे नांखइ नीसास... प्रीउ मोहे घरि आवीयो दासीइं दीध वधामणी दउडीने हे बाईनई दीध कि आयो प्रीतम आपणो तुझ सघली हे हवी आस्या सीध कि प्रीतम... धाईने साह्मी गई वधावई हे मोती भरि थाल कि भलइं पधार्या मालीले घरि वाध्यो हे आनंद विशाल... हार हीई रे नवलखो वधाई हे दीधी बगसीस कि दासी संतोषी घणुं मनवंछित हे पूरी सुजगीस... आई आयुध छोडीयां चढि बईठो हे हींडोला खाट दासी पवन झकोलिवइ पहिरीआ हे पीतांबर पाट कि... तेल सुगंधी आणीआ तिणसेती हे अभंगण दीध उन्हा पाणी कुमकुमा सुखदाई हे तिणि मज्जन कीध... ११४ प्री० ११७ प्री०
SR No.520578
Book TitleAnusandhan 2019 01 SrNo 76
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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