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आवरणचित्र - परिचय
आवरण पृष्ठ १ : ७५-१मां जे पोथीनां चित्रो तथा परिचय आपेल छे, ते ज पोथीनां अन्य ४ चित्रो आ अङ्कमां लीधां छे.
प्रस्तुत चित्र तीर्थङ्करोना जन्माभिषेकनुं छे. मेरुपर्वत उपर एक वखते एक साथै, बे भिन्न शिलाओ उपर बे तीर्थङ्करनो जन्माभिषेक थई शके छे. तदनुसार, अहीं एक विभाजक अवरोध द्वारा जुदी पाडवामां आवेली बे शिलाओ पर, इन्द्र खोळामां भगवान तीर्थङ्कर (नवजात शिशुरूप) ने लईने बेठा छे. जमणे सौधर्मेन्द्र वृषभनुं रूप लई शींगडारूपी नाळचामांथी प्रभुने न्हवरावे छे. तो डाबी तरफ कळश वडे प्रभुने न्हवरावे छे. बन्ने दृश्यमां शिशु-जिन इन्द्रनी गोदमां आडा सूतेला स्वरूपे जोवा मळे छे. बन्ने बाजुए विविध देव-देवीओ छे, तो नीचे मेरु परनां ३ उद्यान-वनोनां प्रतीकरूप वृक्षो पण छे. आ विषयनुं वर्णन तो ग्रन्थोमां मळे, पण तेनुं चित्राङ्कन जलदी नथी जोवा मळतुं.
आवरण ४ : विशाल कद धरावता सूर्याभ देव बे हाथ फेलावे छे अने तेमांथी नाट्य अने नृत्य वगेरे करनार देव-देवीओ-अभिनेतागण सर्जाय छे, तेनुं एक मनभावन दृश्य. तेनो परिचय " अनेक खंभके मकान में एक वेदका उपर बेठी जमणी भूजा पसारके १०८ देवकुमार नीकालै, बाहि भूजाथी देवकुमारी नीकालइ " एवो प्रतमां आप्यो छे.
आवरण २ : सूर्याभे निर्मेला १०८ - १०८ देव-देवीओ विविध रीते वार्जित्रवादन, वन्दन, नृत्य, रास आदि करे तेनुं समग्रदर्शी चित्राङ्कन. मथाळे लखेली वर्णनात्मक नोंध : " देवकुमार अरू कुमारी घणे प्रकार का बाजा बजावइ, समकाले वांदे, समकालइ उठइ नाचै, उंचा हाथ करी घूमता जाय. "
आवरण ३ : सूर्याभ देव द्वारा प्रगटेला देव - देवीओ ३२ प्रकारनां नाटक वगेरे रचे, तेमां कक्को - बाराखडीना आकारे पण ते देवो गोठवाय, नाट्यनृत्य करे, अने विविध वृक्षना आकारमां गुंथाईने पण नृत्यादि करे, तेवो उल्लेख ग्रन्थमां छे. तेनुं चित्राङ्कन आ चित्रमां थयुं छे. चित्रना प्रथम अंशमां ८ देवो एवी ते गोठवाया छे के जेथी एक वृक्षनुं चित्र सर्जाय. तो पछीना पांच अंशोमां एवी