SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 270
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६० अनुसन्धान-७५(२) ४१ ४२ मृगपति लाजी वन गयु रे लाल __ पेखी कटितट लंक ... सु घण थणजुगल सोहामणो रे लाल कोई न दीसइ वंक ... सु दोई भुजा दीसई दीपती रे लाल जिहा पंकज नालि ... सु ऊभी सोभइ आंगणइ रे लाल लखमी आवी चालि ... सु रवि सशि कुंडल झलहलइ रे लाल दर्पण शोभा गाल ... सु दंत सकोमल ऊजला रे लाल । अधर प्रवाली लाल ... सु नकवेसर नीचउ लली रे लाल __ सेवई अधर रसांग... सु तिमिर हणइ अति ऊजली रे लाल निलवटि अर्धमृगांग... सु नयण कमलरी उपमा रे लाल भुं भमरी कहवाइ ... सु श्याम वेणी ढलकती रही रे लाल कटि तटिस्युं लपटाइ ... सु जौवनभर जोरइ चढी रे लाल . वचन अमीरस बिंद ... सु. मुख मटको देखी करी रे लाल खीणपणउ लहइ चंद ... सु कामिणरी चौसठि कला रे लाल तिणि सीखी ततकाल ... सु समकित सुधा श्राविका रे लाल जीवदया प्रतिपाल ... सु ४३ ४४ ४५ ४६
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy