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________________ २३४ अनुसन्धान-७५(२) श्रीसिद्धिविजय-कृत सीमन्धरस्वामी स्तवन सं. - साध्वी समयप्रज्ञाश्री परमात्मानी स्तुति-स्तवना अनेक प्रकारे थती होय छे. क्यारेक तेमां कवि प्रभुना माहात्म्य / अतिशयोने आलेखे छे तो क्यारेक प्रभुना अलौकिक गुणोने गातां होय छे. क्यारेक एमां भक्त पोताना दोषो । हीनतानु वर्णन करतो होय छे तो क्यारेक संसारनां पारावार दुःखो वच्चे पोतानी निःसहायदशाने वर्णवीने हवे तुं ज मात्र आधार छे, तुं ज मारो उगारो छे एवी विनवणी पण करता होय छे. प्रस्तुत स्तवन कृतिमां कविश्रीओ पोतानी दीनताने वर्णवीने दीनदयाळ स्वरूपे श्रीसीमंधरस्वामी भ.ने तारवा माटे विनंति करी छे. तेमां पोताना जीवे अनन्तकाळथी क्यां केवी-केवी रझळपाट करी छे तेनी वात छेक निगोदना भवथी मांडीने शरु करी छे. अने तेनुं वर्णन करता-करतां कविश्रीओ बाल जीवोने नवो बोध मळे ओवी वातोने पण अमां आवरी लीधी छे. जेम के - प्रारंभे निगोदमां जे अनन्त काळ पसार कर्यो तेमां अनन्तीवार जन्म-मरण करवा पड्या अनी गणनानी वात करी छे. जैन दर्शन प्रमाणे काळना अक अत्यन्त सूक्ष्म मापने 'समय' कहेवाय छे. अतिसुकोमळ अवां कमळपत्रोने भेगां करीने कोई बळवान मनुष्य तेने सोयथी वीधे त्यारे ओक पत्रने वींधीने सोय बीजा पत्र सुधी पहोंचे तेटलामां असंख्य समय वीती जाय छे. आवा असंख्य समयोनी ओक आवलिका गणाय. आवी २५६ आवलिका - १ क्षुल्लकभव अर्थात् निगोदीयानो १ भव थाय. कोई स्वस्थ मनुष्यनो ओक श्वासोच्छवास थाय अटलामां निगोदनो जीव साडा सत्तर वखत जन्म-मरण करी ले. ओ मुजब १ मुहूर्तमा स्वस्थ माणसना ३७७३ श्वासोच्छवास थाय अने निगोदीयाना ६५,५३६ भवो थई जाय. प्रवर्तमान आ गणनाने कविश्री अहींथी वधु आगळ लई गया छे. अने १ दिवस, १ मास, अने १ वर्षमा निगोदीया जीवने केटली वार जन्म-मरण करवा पडे छे तेनी गणना बतावी छे ते गणितप्रेमी / आंकडाशास्त्रीओने विनोद पमाडे तेवी छे. त्यांथी आगळ वधता जीव व्यवहारराशिमा प्रवेशे छे त्यां एकेन्द्रियपणे पृथ्वी, पाणी, अग्नि वगेरेना जे भवो करवा पडे छे तेनी वात करे छे. तेमां सूरणकन्द, वज्रकन्द वगेरे जुदी वनस्पतिनां नामो आप्यां छे. जैनदर्शन प्रमाणे ते ३२ अनन्तकाय गणाय छे.
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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