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________________ सप्टेम्बर - २०१८ १३७ राजगृही राजा सुमित्र, पद्मावती मातानुं पुत्र । मुनिसुव्रत लंछन काछिबो, प्रणमुं भावि जिन वीसमो ॥२२॥ विप्रा राणी राजा विजय, मिथिला नयरी रिपुजन अजय । नील्लुपल लंछन जसु चंग, नमिजिन प्रणमुं मननइ रंगि ॥२३।। सौरीपुर स्वामी श्रीनेमि, मुगतिवधू ज(जे)णइ परणी खेमि । समुद्रविजय शिवादेवीनंद, संख लंछन प्रणमुं आणंद ॥२४॥ अश्वसेन वामा जसु माय, वाणारसी नयरी लंछन नागराय । त्रेवीसमो जिणेसर पास, प्रगट प्रभावि पुरिइं आस ॥२५॥ श्रीसिद्धार्थ त्रिसला माय, कुंडणपुर लंछन मृगराय । वर्द्धमान जिन चुवीसमो, कर जोडीनइ भावि नमो ॥२६॥ चोवीसिं जिनवरनां नाम, बोल्यां सदा समरणा काम । भवि भवि मागुं एह ज देव, बोधिबीज साची जिन सेव ॥२७॥ इंदु' बाण' रस नयेण प्रमाण, ए संवच्छर संख्या जाण।। तपगच्छगयणविभासण भाण, श्रीहेमविमलसूरी जुगह प्रधान ॥२८॥ पूज्य सिरोमणि पंडितराय, साधुविजय गिरुआ गणराय । कमलसाधु जयवंत मुर्णिद, तास सीस पभणइ आणंद ॥२९।। इति श्री चोविश जिनस्तवनं ॥ * * *
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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