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________________ ८४ अनुसन्धान-७५(१) केटली संख्याना स्वरो प्रयोजाया छे, तेने आधारे जाति-प्रकारनुं निश्चितीकरण थयु. पूर्ण भाववाही सक्षम रचनामां ओछामा ओछा पांच मुख्य ओवा जुदा जुदा स्वरो प्रयोजाया अने ओडव जाति, छ प्रयोजाया अने षाडवजाति, सात ओटले के बधा ज स्वरो प्रयोजाया ओने सम्पूर्ण जाति कहेवामां आवी. आमां केटलीक रचनाओ ओवी पण हती जेमां आरोह-अवरोहे स्वरसंख्या भिन्न हती तेमने ओडवषाडव, षाडव-सम्पूर्ण अवी पेटा जातिमां मूक्या. आम जाति-प्रकार से वर्गीकरण- पहेलुं पगलुं अने पछी बीजा विभागीकरणमां बार स्वरूपोमांथी कया स्वरस्वरूपो प्रयोजाया छे तेना आधारे 'थाट'मां विभाजन थयुं अने ते पछी त्रीजा तबक्के अनुं मुख्य रागमां अने अमां पण जोवा मळेला राग-रागिणीनां कुळने लक्षमां लेवाया जेना आधारे ज पछी ओवा भिन्न भिन्न नादसमूहो, ध्वनिओकमोना, स्वरलगावना धोरणने लक्षमा राखीने शताधिक रागरागिणीओनां स्वरूप, अनां Forms निश्चित थयां. आ दृष्टान्त संगीत-कलानुं छे. परन्तु अमां ज कलामात्रनुं शास्त्र Poetics छे. आपणो सीधो सम्बन्ध साहित्य साथे छे. अटले वर्गीकरण अने तसंलग्न स्वरूपोने पण प्राकृतिक ओवा सम्बन्ध बधी ज कलाओ साथे छे. साहित्यसन्दर्भ Poeticsनो व्यवहारु अर्थ साहित्यनुज शास्त्र अवो करीओ छीओ. केम के काव्य Poetryनी ज विभावना आपणने अभिप्रेत छे. हकीकते Poetics अटले कलाशास्त्र, कलामीमांसा, मात्र साहित्यमीमांसा नहीं. संस्कृत पर्याय 'काव्य' अटले आजे जेने 'साहित्य' ओवी संज्ञाओ ओळखीओ छीओ ते अमां जेनो समावेश आपणे कवितामां नथी करता अनो पण समावेश छे अने मीमांसा के Poetics, आर्यमूळनी ज कलाओनुं आ पूर्व अने पश्चिममा प्रवर्ततुं स्वरूप छे. अटले के पश्चिमनुं Poetics होय के भारतनी मीमांसा, बन्नेनी प्राचीनतम मूळ विभावना समान छे. ग्रीसना अने भारतना बन्नेनां कलाशास्त्रो, ओनां धोरणो, आधारो, वर्गीकरणो, औचित्यादिना नियमो समकालीन अने समान्तरे चाल्या छे. ग्रीकना होमरादि कविओनी लोकव्याप्त कृतिओना आधारे अॅरिस्टोटले जे कंई कलामीमांसा चर्ची, सिद्धान्तो आप्या अना पण पहेला भारतमा मतन्गादि ऋषिओनी कलामीमांसा आरंभाई चूकेली. अॅरिस्टोटल तो होमर पछी त्रणसो वर्षे थयो अने Poetics बांध्यु अने ओ अन्य द्वारा आगळ वध्यु, ओ पहेलां ज भारतमां अनी तत्त्वविचारणा थई चूकेली. कोइ अक निश्चित
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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