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सप्टेम्बर - २०१८ ६. संशोधन लेखो अने ढूंकी नोंधो
आ सामयिक मूलतः कृतिना सम्पादन अने संशोधनने वरेलुं छे अने तेथी ज तेना प्रादुर्भावकाळथी ज जैनविद्या विषयक पसंदगीना अध्ययनशील लेखोनो समावेश करवामां आवी रह्यो होई तेना नाम - 'अनुसन्धान'- ने सार्थक करी रयुं छे. आ उपरांत केटलीक परम्परागत मान्यताओ अने नवीन अभ्यासो-संशोधनोना आधारे प्राप्त तारणोना परिप्रेक्ष्यमां आ विषयक्षेत्रना अभ्यासुओने पुनः सघन विचारणा करवा प्रेरे तेवी समस्यास्वरूप ढूंकी नोंधो पण प्रगट करवामां आवे छे. जो के अत्रे उल्लेख करवो रह्यो के सम्पादक - आचार्यश्री विद्वत्तापूर्ण लेखो मेळववा माटे आ सामयिकना माध्यमथी संस्कृतनी सुख्यात गद्योकित ‘एको ध्यानं, द्विरध्यायी, त्रिभिः पन्थाः' नी भावनाने ध्याने लई आ शोधयात्रामा जोडावा माटे प्रसंगोपात्त जाहेर अपील करता रहे छे. आम छतां तेमनी अपेक्षा मुजबना लेखो न मळता होवानो अफसोस व्यक्त करतां नोंधे छे के शुं सम्पादके लेखकनी भूमिका पण निभाववी पडशे ? तेम ज, 'अत्यारे तो पुराणी रचनाओनां सम्पादनोनो संचय एवं आ पत्रिकानुं स्वरूप बन्युं छे' (३१). आज सुधी प्रगट थयेला अोमां जैनविद्याक्षेत्रना विविध विषयो सम्बन्धी १८० जेटला लेखो अने ११० जेटली ढूंक नोंधो प्रगट थई शकी छे. एक खास उल्लेखनीय बाबत ए के भायाणीसाहेब तेमना अवसानपर्यन्त आ सामयिकमां पोताना लेखो / शब्दचर्चा मोकलता रह्या हता. आ साथे ज जयंत कोठारी, के. आर. चंद्रा, अनीता बोथरा, म. विनयसागर, सागरमल जैन, मधुसूदन ढांकी, बळवंत जानी, हसु याज्ञिक, नलिनी जोशी, नगीनभाई शाह, कान्तिभाई शाह, आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरिजी, त्रैलोक्यमण्डनविजयजी, उपाध्याय भुवनचन्द्रजी वगेरेना अधीतनो लाभ आ सामयिकना वाचकोने प्रसङ्गोपात्त मळतो रह्यो छे, जेनाथी आ सामयिक रळियात बनी रयुं छे. आ विषयक्षेत्रना नवा अध्यापको / संशोधको आ सामयिकमां प्रकाशन माटे लेख न मोकलता होवाना वलण पाछळ सम्भवतः युजीसीना नियम मुजब अध्यापकोना केरिअर एडवान्समेन्ट, प्रमोशन वगेरेना लाभो माटे तेमना लेखो I.S.S.N. (International Standard Serial Number) नंबर धरावता जर्नल के जे युजीसी द्वारा मान्य होय तेमां