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सप्टेम्बर २०१८
आवी बाबतोनी नोंध लई शकाय अने मूळ वाचनामां संशोधित पाठ मूकाय. चौदमा ढाळनी कडीओनुं वाचन भूलभरेलुं थयुं छे' (१६.२३७). ज्या विज्ञप्तिपत्रोनुं तलस्पर्शी अवलोकन करतां नोंध्युं छे के 'संस्कृत वि. पत्रोमां काव्यात्मक वर्णन विशेष होय छे, ज्यारे गूर्जर भाषानां वि. पत्रोमां स्थूळ वर्णननी विगतो वधु सांपडे छे... उत्तरोत्तर संस्कृत भाषानुं स्तर नीचुं आवेलुं देखाय छे. अमुक पत्रोमां तो अगडंबगडं संस्कृत चलाववामां आव्युं छे' (६७.१५४). आ ज रीते ढांकीसाहेबना 'नन्द्यावर्त' लेख विशे नोंध्युं छे के 'नन्द्यावर्त' विशे तो ढांकीसाहेबनो लेख लांबा समयथी चाली आवती भ्रान्तियुक्त मान्यताने प्रकाशमां लावे छे. संशोधन द्वारा ज आवी भ्रान्तिओनुं परिमार्जन थई शके. संशोधन द्वारा आवी माहिती मळ्या पछी एनो यथास्थाने अमल करवानी फरज संघनायकोनी छे.' (७२.१२७). आम, समग्रतया तेमनी समीक्षामा तटस्थता, निर्भीकता अने सम्बन्धित विषयना ज्ञाननो त्रिवेणी संगम कलकल निनाद करता झरणानी जेम वह्या करतो जोवा मळे छे. महाराजश्रीनी समीक्षाओ आ सामयिकने गति अने बळ पूरुं पाडवा उपरांत नवोदितो माटे मार्गदर्शक बनी रहे छे. अने तेथी ज सम्पादक - आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरि महाराज अने प्रद्युम्नसूरिजी महाराज प्रसंगोपात्त परितोष व्यक्त करता जोवा मळ्या छे. आ बधां अवलोकनो उपरांत मुनिराज श्रीधुरन्धरविजयजी द्वारा पण प्रथम पांच अङ्कनी समीक्षा करवामां आवी छे. आ साथे केटलाक लेखोना प्रतिभाव स्वरूपे प्राप्त पत्रो अने सम्बन्धित लेखको द्वारा करवामां आवेली स्पष्टताओ पण खुल्ला मने अहीं प्रकाशित करवामां आवी छे.
४. विशेषाङ्को
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व्यक्तिविशेष स्मृतिअङ्को
‘अनुसन्धान'ना स्मृतिविशेषाङ्को तेनी आगवी विशेषता बनी रहे छे. आ अन्वये व्यक्तिविशेषना स्मृतिविशेषाङ्को पैकी सौप्रथम पं. दलसुख मालवणिया स्मृति विशेषाङ्क (१७) अने त्यारबाद हरिवल्लभ भायाणी स्मृति विशेषाङ्क (१८), मुनिराज श्रीजम्बूविजयजी महाराजनी पुण्यस्मृतिमां समर्पित अङ्क (५२.२) श्रीविजयसूर्योदयसूरीश्वरजी महाराजनी पुण्यस्मृतिने समर्पित अङ्क (५६) अने डॉ. मधुसूदन ढांकी विशेषाङ्क (७१) प्रगट करवामां आव्या छे.