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________________ सप्टेम्बर - २०१८ तमाम लोकोने विज्ञप्ति लखी मोकली हती. तेना प्रत्युत्तरमां थोडाक आचार्यादि मुनिवरोना प्रतिभाव-पत्र आव्या छे. आशा तो घणाबधा पासे राखेली; केम के शास्त्रज्ञो तथा संशोधको घणाबधा छे. परन्तु तेमणे मात्र उपेक्षा ज सेवी. बन्धुत्रिपुटी, मनोज रावल, जयंतभाई मेघाणी, नाथालाल गोहिल, निरंजनभाई, मालतीबेन आ बधा वडील मित्रो आ पत्रिकाना सतत चाहक रह्या छे. पत्रिकाना योग-क्षेम तथा विकास माटे तेमणे हमेशां निसबत सेवी छे. तेमना प्रतिभाव-पत्रो आ अङ्कनी ज नहि, पण आ सामयिक-प्रवृत्तिनी शोभा वधारनारा छे. अन्य पत्रो पण ऊंडी शुभकामना दर्शावनारा छे. श्रीमणिभाई प्रजापति एक विद्वान् तो छे ज, उपरान्त विद्यानुं कार्य क्यांय पण थतुं होय तो तेमां रसपूर्वक सहयोग करवानुं विद्याव्यसन पण तेमने छे. अमे तेमने सूचव्यु के 'अनुसन्धान'ना ७५ अङ्कोने अवलोकीने एक सरस परिचयात्मक आलेख लखी आपो. तेमणे तरत ते सूचना स्वीकारी अने एक विशद आलेख आप्यो छे, जे आ अङ्कने मूल्यवान बनावे छे. अस्तु. आपणा साक्षरो-साहित्यकारो-साहित्यरसिको बधानी एक फरियाद रही थे के जैन साहित्यमां जैन धर्मनी परिभाषा खूब वपराय छे, ते साम्प्रदायिक होवाथी समजवानुं कठिन होय छे, आ कारणे अमने तेमां रस नथी पडतो. दायकाओथी, सैका उपरांतना समयथी, साक्षरोनी आ फरियाद रही छे, जे आजे पण यथावत् छे. 'अनुसन्धान' ए एक एवो मंच छ जेना द्वारा आ फरियाद- निराकरण आवी शके. जो फरियाद करनारो वर्ग जैन साहित्यनी उपेक्षा करवानु के ते प्रत्ये अरुचि राखवा, टाळी शके, अने थोडीक जिज्ञासा दाखवे, तो आ फरियाद अवश्य उकेली शकाय तेम छे. विज्ञान अने गणितनी, नित्यनवी अने विकट परिभाषाने जो समजवानुं शक्य होय; अन्यान्य सम्प्रदायोनी परिभाषाओने समजी शकाती होय; विदेशना विद्वानो जो जैन परिभाषाने आत्मसात् करी शकता होय, तो आपणा लोको माटे जैन परिभाषाने समजवानुं कठिन तो नथी ज. सवाल अरुचिनो अने उपेक्षानो छे. ते दूर करवा जेटली उदारता क्यारे प्रगटशे ? - शी.
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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