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________________ १३८ अनुसन्धान- ७५ (१ ) बिन्दु क्रमाङ्क - २ जीवाजीवाभिगमसूत्र की मलयगिरि टीका के एतद्विषयक वर्णन के प्रसंगों में से एक स्थल (देखें टिप्पण क्रमाङ्क ७) को छोड़कर शेष सभी स्थलों (देखें इस लेख की टिप्पणी क्रमाङ्क - ९, १०, ११, १२) से यह स्पष्ट है कि तिर्यञ्च स्त्री से देव या देव स्त्री, संख्यातगुणी अधिक होती है । जिस एक स्थल पर टीकाकार ने तिर्यञ्च स्त्री से देव स्त्री को असंख्यातगुणी अधिक बताया है, इसकी अशुद्धता स्वयं टीकाकार द्वारा आगे प्रस्तुत किए गए पाठ से प्रकट होती है । आगे जहाँ आगम में पुरुषों की अल्पबहुत्व की बात दी गई है, वहाँ 'अप्पाबहुयाणि जहेवित्थीणं' (जीवाजीवाभिगमसूत्र, द्वितीय प्रतिपत्ति, सूत्र ५६- आगमोदय समिति) कहकर पुरुषों के अल्पबहुत्व को स्त्रियों के अल्पबहुत्व के समान बताया है । इसी प्रकरण को स्पष्ट करते हुए टीकाकार ने तिर्यञ्च पुरुषों से देवपुरुषों को संख्येयगुणा बताया है । वह टीका पाठ इस प्रकार है. "सर्वस्तोका मनुष्यपुरुषाः सङ्ख्येयकोटीकोटीप्रमाणत्वात्, तेभ्यस्तिर्यग्योनिकपुरुषा असङ्ख्येयगुणाः, प्रतरासङ्ख्येयभागवर्त्यसङ्ख्येयश्रेणिगताकाशप्रदेशराशिप्रमाणत्वात्तेषां, तेभ्यो देवपुरुषाः सङ्ख्येयगुणाः, बृहत्तरप्रतरासङ्ख्येयभागवर्त्यसङ्ख्येयश्रेणिगताकाशप्रदेशराशिप्रमाणत्वात् ।” चूँकि जीवाजीवाभिगमसूत्र की कुछ प्रतियाँ पुरुषों के अल्पबहुत्व के प्रसंग पर स्त्रियों के अल्पबहुत्व की भोलावण देकर (अतिदेश करके) उसे स्त्रियों के अल्पबहुत्व के समान कह रही है, इसी सूत्र की एक अन्य प्रति खुला पाठ देकर पुरुषों के अल्पबहुत्व के प्रसंग पर स्पष्टतः तिर्यञ्च पुरुषों से देव पुरुषों को संख्येयगुण कह रही है तथा इसी सूत्र की टीका करते हुए टीकाकार, पुरुषों के अल्पबहुत्व में तिर्यञ्च पुरुषों से देव पुरुषों के संख्येयगुणा मान रहे हैं,१५ अत: यह स्पष्ट है कि स्त्रियों के अल्पबहुत्व में भी तिर्यञ्च स्त्रियों से देव स्त्रियाँ संख्येयगुण अधिक ही मान्य है 1 जीवाजीवाभिगमसूत्र के एतद्विषयक इतने वर्णन मिल जाने पर प्रज्ञापनासूत्र के तृतीय पद के गति द्वार में आगत 'असंख्येयगुण' पाठ की शुद्धता संदिग्ध हो जाती है । अत: मात्र प्रज्ञापनासूत्र के एक पाठ के आधार पर
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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