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________________ सप्टेम्बर - २०१८ ७५मा अङ्कना सुअवसरे... 'अनुसन्धान'ना अद्यावधि प्रकट थयेला अङ्को पर एक ऊडतो दृष्टिपात करवा बेठो त्यारे मनमां प्रगटेली केटलीक लागणीओ अहीं रजू करवी छे. सौथी पहेली लागणी अचंबानी अथवा तो विस्मयनी छे. एक सामयिक चलाववा माटेनो अभ्यास नहि, आयास नहि, अहेसास पण नहि, अने छतां ते, २५-२६ वर्षे पण, ७५मा मुकाम पर पहोंच्यु, तेनो अचंबो केमेय ओछो नथी थतो. एम थाय के कशी पद्धतिसरनी तालीम नथी, अने सामयिक चलाववानी कोई शिस्त नथी जाणतां, तोय आटली मजल कापी शकाई, तो जो तेवी तालीम अने शिस्त आवी होत के आवी जाय, तो तो केटला वेगथी अने केटली वधु सारी रीते आगळ आवी शकाय? __ अलबत्त, शिस्त अने तालीम – बधू हवे तो भविष्यना सम्पादकने माटे; आपणे तो हवे ‘पाका घडे कांठा क्यां चडवाना?'. बीजी लागणी 'क्षोभ'नी छे. पाछला अङ्को उथलावती वेळाए अनेक क्षतिओ ने खामीओ नजरे चडी. ए जोतां ख्याल आवे के अमे केटला उतावळाअधकचरी दृष्टिवाळा हता ! सम्पादकीय शिस्त, चोकसाई, चोक्कस धोरणो अने मापदण्डो - आ बधुं होत तो आम न बनत. मुद्रणना दोषो ठेर ठेर जडे. सम्पादननी कचाश पण जोई शकाय. उत्साहवश कृतिओ पूर्वे अन्यत्र प्रकाशितसम्पादित होय तोय छपाई जाय. आ बधुं जोतां अणघडता परत्वे क्षोभ अनुभवायो. ____ आ सामयिक-साहसमां साथ-सहयोग आपनारा अनेक मित्रो के वडीलोनी स्मृति पण चित्तने प्लावित करी गई. सर्व प्रथम बे नाम स्मृतिपटमां ऊग्यां : आचार्य श्रीविजयसूर्योदयसूरि महाराज अने डॉ. हरिवल्लभ भायाणी. पूज्य सूर्योदयसूरि महाराज मारा गुरु हता. मारा माटे ए माता पण, पिता पण, गुरु पण अने मित्र पण हता. मारा जीवननी थोडीक पण उजळामण तेम ज सफलता सहुने देखाती होय तो तेनुं कारण तेओ छे. तेमनी केळवणी अने तेमनो कडप - बन्नेए मने घड्यो छे. हस्तलिखित पोथीओने फेंदवा-उकेलवाना अने कशुक नवं शोधवाना चाळे पण मने तेओ ज चडावेलो. ए चाळो आजे तो जीवननुं व्यसन थई पड्यो छे. मारी कोई इच्छाने तेमणे नकारी के उवेखी नथी.
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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