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अनुसन्धान-७४
उपशमरस केरो भंडार, वइरागि ध्यन धनो अणगार, साही-सदसि जीत्यो जेणइ वाद, कुमती तणा उतार्या नाद २७ खुसीअ हूउ अकबर साह बोलइ, गुरुजी अवर नही तुम्ह तोलइ, हीरपाट दीपावणहार, लाहोरि प्रमुख जेणइ कीउ विहार २८ तप-जप-संयम-क्रियानिधान, साहिब साचो युगह-प्रधान, साह कमा-कोडमदेनंद, जास पसाइ अति आणंद
॥ दूहो ॥ राग गोडी ॥ श्री विजयदेवसूरीसरू, तस पटि उदयो भाण,
संप्रति गुरु गौतम समो, उदयवंत जस आण ॥ ढाल-त्रीजी ॥ ३ राग-सिंधूओ मिश्र ॥ नगर द्वारावती जांणीइ ए देशी ॥
गुणवंत गुरु महिमानिलो, जस अद्भुत रूप, तप-संयम-कर्म आगलो, सेवइ बहु भूप ३१ बलिहारी गुरु नांमनी, महा चारित्रपात्र, उपशमरस-रयणायरु, गुणवंता गुरु गात्र, बलिहारी०.... ॥ आंकणी ।। शासनि शोभ चढावतो, नवकलपी विहार, करइ भविक प्रतिबोधवा, वली परउपगार ३२ बलिहारी.... तुझ महिमा महिअलि भलो, तपिइं धनो अणगार, सरसति मुखि वासिं वसी, विद्याइं वयरकुमार ३३ बलिहारी.... संवत सोल चिउतरइ, मांडवगढ मांहि, साह सलीमई प्रसंसीओ, अति घणइ उच्छाहिं ३४ बलिहारी.... 'महातपा'- बिरुद तिहां, जिहांगीर जगीस, साहि कहइ मुखि आपणइं, ध्यन ध्यन सूरीश ३५ बलिहारी.... खांन निवाजसिं मांनीउ, देश सोरठ मांहिं, सेजगिरि गिरनारनी, करइ यात्र उच्छाहिं ३६ बलिहारी.... साह थिरा रूपाईनु, नीको ए नंद, भविजन-कैरव बोधवा, सही साचो चंद ३७ बलिहारी....