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अनुसन्धान-७४
ध्यानार्ह छे । पद सोंपवा आ रीते आराधना कर्यानी विगत प्रायः कोई अन्य स्थळे जाणवा - जोवा मळी नथी । आ परम्परा हीरविजयसूरिनी पाटपरम्परामां ज जोवा मळे छे ।
त्यार पछीनी ११मी तथा १२मी ढाळ इडरनगरना वर्णननी छे । कोई लघुमहाकाव्यनी जेम थोडी साहित्यनी छांट अहीं देखाय छे । राजा कल्याणजीनी ऋषभदेवप्रभुना प्रासादनी, आनन्दविमलसूरि आदि आ ज नगरना ३ प्रभावक श्रमणरत्नोनी, उत्तम श्रावकोनी तेमज नगरनी समृद्धिनी विशेष विगत अहीं गुंथाइ छे । पछीना १६३ थी १८१ पद्योमां श्रीसंघना आग्रहने ध्यानमा लई सूरिजी द्वारा पदप्रदान करवाना शुभ मुहूर्त जोवराववानी, पदमहोत्सव प्रसंगनी उजवणी रूप साह सहिजू द्वारा विविध गामोना संघोने कंकोत्री मोकलवी, मंडप बंधाववा, प्रभावना वहेंचवी, स्वामीवात्सल्य कराववा जेवां आयोजनो गोठवायानी, शेठाणी लाली द्वारा पहेरामणी कराई वगेरे बाबतो जोइ शकाशे ।
शुभ दिवसे समवसरण मंडाया बाद गुरुए ज्यारे पदग्रहण करवा कनकविजयजीने बोलाव्या त्यारे सौ प्रथम तेमणे ते पद अंगेनी पोतानी असमर्थता दर्शावी. वळी पोतानाथी गुणश्रेष्ठ मुनिभगवन्तने पद आपवा कह्युं । छतां य अंते तेओ ज्यारे त्यां हाजर थया त्यारे श्रीसंघने थयेला आनन्दनुं तथा पदप्रदान प्रसंगनुं वर्णन ढाळनां अन्त्य पद्योमां छे। आ प्रसंगे २ मुनिने वाचक पद आप्यानी तेमज ८ मुनिने पण्डित पद आप्यानी विगत पण ऐतिहासिक दृष्टिए महत्त्वपूर्ण छे ।
पंदरमी तथा सोलमी ढाळमां सूरिजीना पुण्यथी थतां शासननां कार्योनी अने तेमना विहारनी विगत नोंधाई छे. जेम के पद प्राप्त कर्या बाद सूरिजी ईडरथी विहार करी सीरोही, त्यांथी झालोर, त्यांथी संघपति धूल्हा तथा धरकणना आग्रहथी शांतलपुर पधार्या । अहीं नवा जिनमन्दिरमां नूतन बिम्बोनी तेमणे प्रतिष्ठा करावी । आ प्रसंगे श्रेष्ठि सवजीए घणुं द्रव्य खरच्युं । त्यांथी विहार करी सूरिजी राधनपुर, शंखेश्वर थई पाटण पधार्या । अहीं श्रेष्ठी सामले सामैयुं घणुं द्रव्य खरची कराव्यं । त्यांथी विहार करी सूरिजी सिद्धपुर, झालोर, सीरोही थई फरी झालोर पधार्या । अहीं श्रेष्ठि जयमल्ले राजा संप्रति-कारित चैत्यनो जीर्णोद्धार करावी सूरिजीना हाथे तेमां नवा बिम्बनी प्रतिष्ठा करावी । पछी चातुर्मास विजयदेवसूरिजी साधे सूरिजीए अहीं ज कर्यु । मन्त्री जयमल्लना राजा गजसिंह साथेना सम्बन्धोनी वात अहीं विशेष ध्यानार्ह छे ।
छेल्ली बे ढाळो सूरिजीना वांदणा महोत्सवने उद्देशीने रचाई छे । संघपति तेजपाल तथा जयमल्लना आग्रहथी आ. श्रीविजयदेवसूरिजीए जालोरमां ज सूरिजीनो वांदणा महोत्सव कर्यो । वली ए प्रसंगे अन्य २ मुनिभगवन्तनो वाचकपदप्रदान प्रसंग