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सप्टेम्बर २०१७
प्रकरण व्याकरण सहित छंद, जाणइ सूत्र सिद्धांत अमंद,
विद्या चउद भणी थयु जाण, वादि (दइ) जीत्युं सुरु (र) गुरु- माण. ५२ श्रीराजविमल विमलगुण - लीह, चारित्र पाली अकल अबीह, सयल भलवण निज शिष्य करी, ३ ( त्रीजे) स्वर्ग पुहुता शम धरी. ५३ एक दिन मुनिविजय मुनिराय, श्रीहीरविजयसूरि वंदण पाय, जाणी योग्य जगगुरु हित धरी, पंडित पद दीधुं हित करी. ५४ जगगुरु केरुं लही आदेस, वीसलनयर करि (री) ओ प्रवेश, देखी संघ वंदइ गुरुराज, कल्पवृक्ष फलीओ अहम आज ५५ वडो बंधव तिहा सा. लखराज, घरथी धर्म तणा करि (री) काज, आव्या जाणी सुहगुरुराय, भक्ति [ इं] वंदइ तेहना पाय. ५६ सुणी देशना मनि धरी वैराग, इणि संसारि नही मुड लाग, घरि आवि(वी) प्रतिबोधी मात, संयम लीधुं जगविख्यात ५७ लब्धिविजय ठविओ जस नाम, मही (हि) मंडलमां राख्यं नाम, पंच विगय तणुं परिहार, अंत-प्रांत लेइ ते आहार. ५८ बंधव साथि कंरइ विहार, प्रत्यख्य जाणे धनो (न्नो) अणगार, क्रोध मान माया करी दुरि (दूर), दीसइ अभिनव उपशम-पूर. ५९ देस सहुमांहि सोरठ भलु, जिहा छइ विमलाचल गुणनिलु, तेह तणी यात्रानइ काजि (जइ), एइ दिन पुहुता पंडित - राज. ६० श्रीयुगादिदेवनी यात्रा करी, मनह मनोरथ पूगा रली, अनुक्रम उनानयर मझारि ( रइ), जइ वंद्या श्रीजगगुरु गणधार. ६१ ॥ ढाल ॥ राग-केदार गोडी ॥
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उनानगर सोहाभलु (मणुं), जिहां जगगुरु चुमास,
दुरित दुकाल दु(दू)री गया, भवियण पुहती आस. ६२ नवपल्लव नालीएरी, केतकी कदली कल्हार, मोगर मरु [ओ] मालती, जाय जु (जू ) ई सहकार. ६३ नागरवेलि बीजोरडी, चंपक लाल ग (गु)लाल (ब), वनसपति सोहि(हइ) घणी, कोइल बोलइ रसाल. ६४ कूआ वावि खडोखली, अति भली नदी य निवाण, दढ गढ पोलि पाखलि, वली फिरति खान अमान. ६५