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अनुसन्धान-७३
तस घरणी सोहइ सोमाइ, सी (शी) ल गुणे सीता सम गाइ, तेह संघाति विलसइ भोग, इणी परि दिन जाइ सु (शु)भ योगि (ग). १३ एक दिवस सुरलोकथी चवीओ, पुण्यवंत सुर तिहां अवतरीओ, तसु अनुभावि माता पेखइ, सीह सुपन सुती सुखि देखइ. १४ प्रहि(ह) ऊठी कहि (हइ) निज भरथार, स्वामी ! सुपन कहु सुविचार, वात सुणी सा. केसव बोलइ, पुत्ररतन हुसि सुर - तोलइ. १५ हर्खी वात सुणी सोमाइ, पोषइ गर्भ सुखि (खइ) सज (ज्ज) थाइ, दान पुण्य देवपूजा केरां, उप[ज]इ दिन दिन डो (दो) हला भलेरा. १६ इम अनुक्रमं पुहता नव मास, जनमि (मी) ओ कुंअर पुहुती आस, धवता मंगल गाइ वर नारि, उत्सव हुइ घर घरबार १७
सा. केसव सहु सुजनह साखि, भक्ती (क्ति) करीनई इण परी (रि) दा (भा) खि, मेघ तणी परि जग-हितकारी, मेघजी नाम ठविउ सुखकारी. १८ वडु बंधव वली लखराज, जिणइ नामि सि (सी) झइ सवि काज, बिहुं बंधव केरी जोडि (ड), दीठइ पुहुचइ सहुनी कोड. १९
॥ ढाल ॥ राग-सामेरी ।
सकल कला परिपूरीओ, जाणे पुण्यम चंद,
रूपं जगजन मोहतो, प्रत्यख्य जाणे इंद्र. २०
इम वाधि (इ) कुमर सुजाण, तेजइ करी जीत्यु भाण,
हीरइ जडी टोपि(पी) ओपि (पइ), मस्तकि(कइ) सोहि (हइ) आरोपि (पी). २१ काने तुंगल (कुंडल) तेज - झमाल, अष्टमी सशि (शी) सोहइ भाल, कमलदल - कोमल नयण, नाशा दीपश (शि) खा सोहइ वयण. २२ हीरासम दंत विराजइ, अधरोपम विद्रुम छाजइ,
सुख - गंध सुगंध कपूर, बाजुबंध सोहइ भूज - भूर. २३ कटी सोहइ कनक कंदोरो, पगि धमकइ घूघरा घोर, अंगि लक्षण बत्रीस सोहइ, देखी भविजननां मन मोहइ. २४ मुखि बोलइ वचन विलास, सहु सजननी पूरइ आस, आठ वरस थया इम करतां, माय ताय मनोरथ धरतां . २५