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________________ जून २०१७ - आषाढभूति सतढाळियो सासण-नायक-सुखकरु वांदु वीर जिणंद सेवकने सुरतर (रु) समो पुरण परमाणंद... वचन - सुधारस वरसती समरी सरसति माय वाणी वरवाणी दीयो सेवकने सुख थाय... से मुख श्रीजिन उपदिसे दान सीयल तप भाव धर्ममुल एही ज धुरा भव - सायरकी नाव... भाव - विशेषे भविक जन ओहमे अधिक सुजाण, भाव - सहित तप- जप करे तेह चढे निर्वाण... भाव विना जिन भगत सी भाव विनां सी दीख र भाव विना भणवो किसो भाव विना सी सीख... इण परि भावे भावनां जिम आषाढमुनीस कर्म मयल खेरुं करी केवल लह्यो जगीस... ढाल अलवेल्या ५ ६ दाहिण भरतमांहे भलो रे लाल, पूर्व दिस प्रधान सुखकारी रे राजगृही रलीयामणी रे लाल, इंद्रपुरी उपमान... सु० राजगृही पुर सूंदरुं रे लाल... सोहे चोरासी चोहटा रे लाल, वापी कुप आराम सु० अहनिस सेवे देवता रे लाल, जिहां रहिवाने विश्रांम सु० २ रा० लोक वसे सुखीया सहु रे लाल, धन करी धनद समांन सु० ले लाहो लिखमी तणो लाल, दे षट दर्शण दान सु० आरीहंत आण वहे सदा रे लाल, श्रावक कुल सिणगार सु० धरम - धुरंधर्मे धुरा लाल, छे द्वादस वरत धार सु० नालंदेपाडे वसे रे लाल, जिहां श्रावकनी जोड सु सें मुख वीर प्रसंसीया रे लाल, साढीबार कुल कोड सु० ५ रा० ३ रा० ४ रा० १. स्वयं । २. पांमें चो. । ३. दीक्षा । ४. मेल खंखेरीने । ५. केवलज्ञान । ८९
SR No.520573
Book TitleAnusandhan 2017 07 SrNo 72
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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